इस्लामाबाद। सैन्य प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के सेवा विस्तार मामले में अदालत में हुई किरकिरी पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का दुख सामने आया है। इसका संकेत उनके इस बयान से मिला है कि सैन्य प्रमुख के सेवा विस्तार के मामले में देश की न्यायपालिका ने अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करते हुए कार्यपालिका के काम में दखल दिया है। इमरान ने यह भी कहा कि भारतीय सेना प्रमुख ‘जंग की धमकियां दे रहे हैं’, ऐसे में उन्होंने बहुत सोच समझकर जनरल बाजवा को सेवा विस्तार देने का फैसला किया है।
हालांकि पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इमरान सरकार ने सैन्य प्रमुख सेवा विस्तार मामले में जरूरी कानूनी बदलावों की शुरुआत कर दी है लेकिन इसके साथ ही उसने सुप्रीम कोर्ट में सेवा विस्तार मामले में पुनर्विचार याचिका भी दायर की है।
पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इमरान ने अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीआई) के संसदीय दल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही।
बैठक में पार्टी सांसद रमेश कुमार ने सवाल उठाया कि जब (सैन्य प्रमुख सेवा विस्तार मामले में) कानून बनाना ही था तो फिर पुनर्विचार याचिका दायर करने की जरूरत क्या थी। उन्हें जवाब देते हुए इमरान ने कहा कि “हमारे विचार में इस मामले में न्यायपालिका ने कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में दखल दिया है। अहम पदों पर नियुक्तियां करना सरकार का विशेषाधिकार है। पुनर्विचार याचिका में अधिकार क्षेत्र से जुड़े मुद्दे उठाए गए हैं।”
बैठक में इमरान ने कहा “हम सभी न्यायपालिका का सम्मान करते हैं। हम न्यायपालिका से किसी तरह का टकराव नहीं चाहते। पुनर्विचार याचिका का संबंध अधिकार क्षेत्रों को स्पष्ट करने से है।”
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मात्र 6 महीने के लिए जनरल बाजवा के सेवा विस्तार को इस शर्त के साथ अनुमति दी है कि इन 6 महीनों में सेना प्रमुख के सेवा विस्तार और इससे जुड़े अन्य मुद्दों पर संसद स्पष्ट कानून बनाए और 6 महीने बाद उसी कानून के हिसाब से फैसला किया जाए।