अप्रवेशीय बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाएं: पी. नरहरि

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19HREG541 अप्रवेशीय बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाएं: पी. नरहरि

मुरैना, 19 जुलाई (हि.स.)। उद्योग विभाग के आयुक्त पी. नरहरि ने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग अप्रवेशीय बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायें। कोई भी बच्चा बगैर शिक्षा के वंचित नहीं रहे। शत-प्रतिशत पात्र बच्चों का स्कूलों में प्रवेश हो जाये।

पी. नरहरि बुधवार को जिलाधीश कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित स्कूल चलें अभियान की बैठक की समीक्षा कर रहे थे। वे स्कूल चलें हम अभियान को जन आंदोलन में परिणित करने की दृष्टि से 17 से 19 जुलाई तक प्रदेश की समस्त शासकीय शालाओं में जनसमुदाय की सहभागिता में भविष्य से भेंट कार्यक्रम में मुरैना आये थे। इसके तहत उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर स्कूल चलें अभियान की विस्तार से समीक्षा की।

बैठक में जिलाधीश अंकित अस्थाना, जिला पंचायत के सीईओ डॉ. इच्छित गढ़पाले, जिला शिक्षा अधिकारी एके पाठक, उद्योग विभाग के प्रभारी महाप्रबंधक अरविन्द महेश्वरी, डीपीसी सहित अन्य शिक्षा से जुड़े एवं उद्योग से जुड़े अधिकारी मौजूद थे।

उद्योग आयुक्त पी. नरहरि ने शिक्षा विभाग से जुड़े समस्त अधिकारियों को निर्देश दिये कि अप्रवेशीय बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाना शिक्षा विभाग का दायित्व है। बच्चों को लाने के लिये ऐसे क्या नवाचार अपनायें, कि बच्चे स्कूलों में दाखिला लें और प्रदेश सरकार की मंशा पूर्ण हों। जिले में 673 बच्चे स्कूलों से बाहर बताये गये थे, जिन्हें शिक्षकों की मदद से 312 बच्चों का दाखिला करा दिया गया है। 361 बच्चे अभी भी शाला से बाहर है। उन्हें किसी भी स्थिति में स्कूल लाने के प्रयास किये जायें। इसके लिये प्रदेश स्तर से 20 जून से 1 जुलाई तक घर-घर जाने के शिक्षकों को दायित्व दिये थे। जिसके तहत बच्चे अभी भी बाहर है। शिक्षकों ने क्या-क्या नवाचार किये, उनके बारे में विस्तार से पूछताछ की।

जिला शिक्षा अधिकारी एके पाठक ने बताया कि पोरसा में 461, अम्बाह में 513, मुरैना में 393, जौरा में 532, पहाडगढ़ में 327, कैलारस में 263 और सबलगढ़ में 261बच्चों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किये गये थे। जिसमें से कुछ बच्चे ऐसे पाये गये है, जो कक्षाओं में प्रवेश नहीं ले रहें है। पी. नरहरि ने कक्षा 1 से 5 तक, कक्षा 6 से 8वीं तक और कक्षा 9 से 12वीं तक के बच्चों की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी से ली। नरहरि ने कहा कि शिक्षक स्कूल टाइम में नहीं, सुबह-शाम बच्चों के पालकों से मिलें और उन्हें प्रेरित कर स्कूल में लाने के प्रयास करें। स्कूल समय में पालक मजदूरी करने के लिये निकलते है, फिर मॉटिवेट करने का मतलब नहीं है।