19HREG496 संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में पांडुलिपियों के प्रकाशन में करोड़ों के गबन का आरोपित गिरफ्तार
-तत्कालीन कुलपति का निजी सचिव रहा आरोपित
-कुलपति ने इसकी शिकायत प्रदेश शासन से की थी
वाराणसी,19 जुलाई (हि.स.)। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में दुर्लभ पांडुलिपियों एवं ग्रंथों के मुद्रण, प्रकाशन के नाम पर करोड़ों के गबन का आरोपित बृजभवन दास गुजराती पुत्र जमुना दास को आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। आरोपित तत्कालीन कुलपति का निजी सचिव रह चुका है। इस मामले में चार आरोपितों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, शेष की तलाश जारी है।
ईओडब्ल्यू वाराणसी के निरीक्षक सुनील कुमार वर्मा के अनुसार गोलघर कचहरी के पास से आरोपित की गिरफ्तारी हुई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश शासन की ओर से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय को वित्तीय वर्ष 2000-2001 से 2009-10 के बीच दुर्लभ पांडुलिपियों, ग्रंथों के मुद्रण, प्रकाशन के लिए दस करोड़ 20 लाख 22 हजार रुपये आवंटित किए गए थे। आरोप है कि विश्वविद्यालय के प्रकाशन संस्थान के तत्कालीन निदेशक हरिश्चंद्र मणि त्रिपाठी ने वित्त विभाग के अधिकारियों, प्रिंटिंग प्रेस मालिकों और अन्य लोगों की मिलीभगत से लगभग 5.90 करोड़ रुपये का फर्जी भुगतान दिखाकर गबन कर लिया।
प्रकाशन विभाग ने लगभग 3.67 करोड़ रुपये का मात्र वैध मुद्रण कार्य कराया था। वर्ष 2010 में तत्कालीन कुलपति वेम्पटी कुटुम्ब शास्त्री के कार्यालय में इनके हस्ताक्षर की फर्जी मुहर प्राप्त होने और दुरुपयोग होने की आशंका से मामला प्रकाश में आया । तत्कालीन कुलपति ने इसकी शिकायत प्रदेश शासन से की थी। मामले की जांच ईओडब्ल्यू वाराणसी को सौंपी गई थी। जांच में पता चला कि प्रेसों को भुगतान करने में किसी भी कुलपति से स्वीकृति प्राप्त नहीं की गई। उनके फर्जी हस्ताक्षर की मुहर बनवाकर प्रयोग किया गया।
इस संबंध में दिसंबर 2014 में ईओडब्ल्यू ने चेतगंज थाने में 11 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इस मामले में पूर्व में चार अभियुक्तों की गिरफ्तारी की जा चुकी है,शेष की तलाश जारी है।