प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर इकोनामी बनाए जाने के लिए मंत्रियों ने किया मंथन

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18HREG464 प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर इकोनामी बनाए जाने के लिए मंत्रियों ने किया मंथन

-कृषि मंत्री की अध्यक्षता में कृषि तथा अनुषांगिक विभागों के समन्वय से बेहतर परिणाम प्राप्त करने की रणनीति हुआ प्रजेंटेशन

लखनऊ, 18 जुलाई (हि.स.)। उप्र वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी प्रोजेक्ट में कृषि और संबद्ध क्षेत्र की गतिविधियों की प्रगति की समीक्षा के लिए कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की अध्यक्षता में मुख्य भवन, लखनऊ में एक कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में कैबिनेट मंत्री जल शक्ति स्वतंत्र देव सिंह, मंत्री पशुपालन धर्मपाल सिंह और बलदेव सिंह औलख के साथ मुख्यमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. केवी राजू ने भाग लिया।

इस अवसर पर सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि आज मंत्री स्तर पर यह पहला प्रेजेंटेशन हुआ है। इस संबंध में प्रयासों को और बेहतर किए जाने की आवश्यकता है। डेलाइट के प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए सुझाव के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इस पर उचित विचार विमर्श करके दो सप्ताह के बाद एक दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की जाए, जिसमें विषयों को और विस्तार से प्रस्तुत किया जाए। इससे यह स्पष्ट हो सके कि धरातल पर कार्य करने में किस प्रकार की कठिनाइयां हैं तथा शासन स्तर पर उसमें क्या सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट पर विशेष चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस पर प्रदेश के समस्त 75 जनपदों के लिए व्यापक और प्रभावी कार्ययोजना बनाए जाने की आवश्यकता है।

डेलॉइट के प्रतिनिधियों द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा कृषि उत्पादकता में सुधार के लिए, ब्लॉक स्तर पर लक्षित उपज सुधार के लिए मॉडल किसानों का नामांकन चल रहा है। जो प्रत्येक ब्लॉक में प्रमुख फसलों में सर्वोत्तम गतिविधियों को बढ़ावा देने में मदद करेगा। विविधीकरण को बढ़ावा देने और मूल्य प्राप्ति बढ़ाने के लिए दलहन, तिलहन और बाजरा के लिए समर्पित फसल विविधीकरण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। मक्का उत्पादन बढ़ाने के लिए एक कार्यक्रम विकसित किया गया है, क्योंकि यह पशु चारा और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण इनपुट है।

पशुपालन, कृषि, योजना विभाग और आईजीएफआरआई के साथ सर्वसम्मति से व्यापक राज्यव्यापी चारा योजना के विकास को अंतिम रूप दिया गया है। गोवंश की नस्लों में सुधार तथा देसी नस्लों के संरक्षण के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश में कृत्रिम गर्भाधान कवरेज को बढ़ाने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ काम चल रहा है। इसके अलावा, दूध नीति को अधिक आकर्षक बनाने और इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए इसमें आवश्यक संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं। उत्पादन बढ़ाने और यूपी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पोल्ट्री और मत्स्य पालन में भी हस्तक्षेप की योजना बनाई गई है।