बेमौसम गरज और तेज हवाओं के साथ बारिश ने किसानों की बढ़ाई चिंता

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01HREG138 बेमौसम गरज और तेज हवाओं के साथ बारिश ने किसानों की बढ़ाई चिंता

– गेहूं की कटाई-मड़ाई का काम रुका, दलहनी फसलों पर भी पड़ेगा असर

औरैया, 01 अप्रैल (हि.स.)। जिले में शुक्रवार की रात गरज और तेज हवाओं के साथ बेमौसम हुई बरसात ने किसानों का समीकरण बिगाड़ दिया। गेहूं की कटाई-मड़ाई का काम रफ्तार पकड़ने की बजाए रुक गया है। पिछेती बोई हुई गेहूं की फसल के गिर जाने से उत्पादन कम होने की उम्मीद है। दलहनी फसल जिनकी बुआई हो चुकी है, उनके जमाव में संदेह है और जिनकी बुआई होनी है, उनमें देरी होगी।

फसलें जिनका जमाव हो चुका है, उनमें समय से पहले पानी पहुंच जाने से पौधों की बढ़त प्रभावित होने के साथ-साथ खरपतवार अधिक जमेगा, जिससे किसानों को नुकसान होगा। किसानों का खर्च अधिक होगा तथा उत्पादन कम मिल सकता है। सरसों की फलियां चटक जाने से भी किसानों को अधिक नुकसान होगा।

इस समय किसानों की गेहूं की फसल पक कर खेतों में तैयार खड़ी है। गेहूं की कटाई और मड़ाई का काम शुरू हो चुका है। क्षेत्र में अभी सरसों की फसल भी जहां-तहां खेतों में खड़ी है या कटी हुई फसल खेतों में पड़ी है। मूंग, उर्द की बुआई चल रही है तथा उर्द, मूंग के लिए खेतों की तैयारी भी किसान कर रहे हैं। तरबूज, खरबूजा भी बोया जा चुका है और जमाव भी हो चुका है। ऐसे में अचानक बदले मौसम और तेज हवाओं के बीच बारिश से किसानों को नुकसान होगा। इसमें फसलों की लागत बढ़ेगी और किसानों पर आर्थिक बोझ आएगा। इससे उत्पादन पर भी असर पड़ेगा। यह बातें शनिवार को कृषि विज्ञान केंद्र औरैया के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर अनन्त कुमार झा ने कही।

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि जिले में अचानक बदले मौसम के साथ लगभग पांच मिमी. बारिश हुई है। यह बारिश किसान भाइयों और फसलों के लिए ठीक नहीं है और इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। बताया कि बारिश के चलते जो पिछेती बोई गई गेहूं की फसल जो गिर गई है, उसका उत्पादन घट जाएगा, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होगा। खेतों में पकी खड़ी गेहूं की फसल और गेहूं के गठ्ठर भीग जाने से कम से कम दस दिन के लिए कटाई और मड़ाई का काम रुक जाएगा। गेहूं की फसल के बाद आगे की दूसरी फसल लेट हो जाएगी। दलहनी फसल जैसे मूंग, उर्द जिनकी बुआई हो चुकी और अभी पौधा मिट्टी से बाहर नहीं आया है, उनके जमाव में संदेह हो गया है। खेतों में मिट्टी की फड़ बैठ जाने से पौधा मिट्टी के बाहर नहीं आ सकेगा जिससे किसानों की लागत बर्बाद होने का खतरा है। इसके अलावा उर्द, मूंग के लिए जो खेत तैयार हो रहे हैं, बरसात हो जाने से अब उनकी बुआई में देर हो जाने की संभावना बन गई है।

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि तरबूज, खरबूजा की फसलों की भी बुआई चल रही है और कुछ हो भी चुकी है, जिनका जमाव हो चुका है, उनमें अभी पानी का आवश्यकता नहीं है। लेकिन बारिश के चलते पानी पहुंच जाने से पौधे की बढ़त प्रभावित होगी तथा खर-पतवार भी अधिक जमेगा, जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा तथा पैदावार भी कम हो सकती है।

उन्होंने बताया कि क्षेत्र में सरसों की फसल की अधिकतर कटाई-मड़ाई हो चुकी है। जहां-तहां पकी सरसों की फसल खेतों में खड़ी है या कटी हुई पड़ी है, जो बारिश में भीग चुकी है। तेज धूप पड़ने से सरसों की फलियां चटक सकती हैं। सरसों की फलियों के निकलकर खेतों में गिर जाने से भी किसानों को अच्छा खासा आर्थिक नुकसान होगा। खीरा या अन्य सब्जियों की फसलों के फूल बारिश से झड़ जाने से भी उत्पादन पर असर पड़ेगा। बेमौसम बारिश से किसानों का समीकरण बिगाड़ दिया है। फसलों की कटाई, मड़ाई, बुआई भी प्रभावित हुई है।