11HREG138 वृद्ध एवं युवा सोच का टकराव ‘बैण्ड मास्टर’ नाटक में मुखरित
–एक वृद्ध कलाकार की व्यथा दर्शकों की आँखें नम कर गयी
प्रयागराज, 11 मार्च (हि.स.)। कलाकार का फन कभी छोटे रास्ते से हासिल नहीं हो सकता, उसके लिए लगन व मेहनत ही एक रास्ता है। ऐसे ही एक वृद्ध कलाकार की कथा-व्यथा हिन्दी नाटक बैण्ड मास्टर मंच पर दिखाया गया। जिससे दर्शकों की ऑखें नम हो गईं।
विनोद रस्तोगी जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी ईश्वर सहाय की स्मृति में विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान (रंगमण्डल), प्रयागराज ने शनिवार को गोल्डेन जुबली स्कूल परिसर के “रवींद्रालय प्रेक्षागृह“ जॉर्ज टाउन में परिमल दत्ता लिखित नाटक “बैण्ड मास्टर“ अजय मुखर्जी के परिकल्पना एवं निर्देशन में मंचित किया गया।
नाटक में दिखाया गया कि एक वृद्ध बैण्ड मास्टर अपने स्वास्थ्य के कारण असमर्थ होता जाता है, लेकिन अपरिपक्व युवा पीढ़ी को अपना साज सौंपना नहीं चाहता, क्योंकि वह बदलाव की बयार में शास्त्रीयता से दूर हो गये हैं। नाटक में दो पीढ़ियों के संघर्ष को बैण्ड मास्टर के माध्यम से बड़ी ही सहजता से दर्शकों तक सम्प्रेषित किया गया है।
कलाकारों में मंच पर अभिलाष नारायण, अजय मुखर्जी, सौरभ शुक्ला, अक्षत अग्रवाल, रोहित यादव, रजत कुशवाहा, आशीष यादव, गरिमा कुशवाहा, प्रतीक सिंह, दिग्विजय सिंह, हिमांशु तिवारी व आर्यन प्रकाश रहे। रंगदीपन सुजॉय घोषाल, संगीत संचालन शुभम वर्मा, रूपसज्जा संजय चौधरी, प्रस्तुतकर्ता आलोक रस्तोगी, परिकल्पना एवं निर्देशन अजय मुखर्जी रहे।