02HREG233 कोरोनाकाल में आयुर्वेद प्रति बढ़ा विश्व का विश्वास : डा. जोशी
-ऋषिकुल में 03 दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार प्रत्याशा का आयोजन
हरिद्वार, 02 मार्च (हि.स.)। ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय एवं हेमवती नन्दन बहुगुणा चिकित्सा विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में 03 दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार प्रत्याशा -2023 का उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डा.) सुनील कुमार जोशी एवं हेमवती नन्दन बहुगुणा चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डा.) हेमचन्द्र पाण्डेय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ किया। सेमिनार के सोविनियर का विमोचन भी किया गया।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति ने उद्घाटन सत्र में सभी प्रतिभागियों को से कहा कि इस सेमिनार से विश्व की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद एवं एलोपैथ चिकित्सा पद्धति का संयुक्त रूप से एक साथ शिक्षण ज्ञान प्राप्त करने का मौका मिलेगा। डा. सुनील जोशी ने कहा कि कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी में सम्पूर्ण विश्व में आयुर्वेद के प्रति अटूट विश्वास बढा है यदि हम अपनी चिकित्सा सेवा से सभी पद्धति मिलकर जनमानस को स्वस्थ रखने के लिये एक साथ काम करेंगे तो किसी भी बड़ी से बड़ी बीमारी का सही और समय से इलाज कर पायेंगें, जिसका उदाहरण कोरोना काल में सभी ने देखा है।
हेमवती नन्दन बहुगुणा चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डा.) हेमचन्द्र पाण्डेय ने कहा कि इस अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार के माध्यम से उत्तराखंड में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत में एक ऐसा सन्देश जायेगा कि प्राचीन चिकित्सा पद्धति एवं आधुनिक एलोपैथ चिकित्सा पद्धति एक साथ मिलकर एक ही प्लेटफार्म में संयुक्त रूप से एक दूसरे को सहयोग करते हुए अपनी-अपनी पद्धति के ज्ञान का आदान प्रदान कर सकेंगे।
डा. हेमचन्द्र पाण्डेय ने कहा कि सभी प्रतिभागियों के लिये लाइव डिटैक्शन डिमान्स्ट्रेशन की जो व्यवस्था इस सेमिनार में की जा रही है यह अपने आप में अनूठी पहल है, जिसके माध्यम से छात्र-छात्राओं को जो ज्ञान अर्जित होगा उसका लाभ उनके शिक्षण जीवन में हमेशा रहेगा।
डा. हेमचन्द्र पाण्डेय ने कहा कि भविष्य में इस प्रकार के आयोजन दोनों चिकित्सा पद्धति से संयुक्त रूप से किये जाते रहने चाहिए। हेमवती नन्दन बहुगुणा चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलसचिव, संयुक्त निदेशक, विभागाध्यक्ष एनाटामी प्रो. (डा.) महेन्द्र कुमार पंत ने कहा कि एनाटामी, रचना शरीर चिकित्सा शिक्षण का मुख्य विषय है। जिसमें अधिक से अधिक इस प्रकार के आयोजनों की आवश्यकता होती है।
डा. महेन्द्र पंत ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से मेडिकल छात्रों की एक प्रकार से नींव मजबूत की जा रही है क्योंकि शरीर रचना विषय का विशेष ज्ञान से मेडिकल छात्र भविष्य में अच्छा चिकित्सक बन पायेंगे। सेमिनार के आयोजन सचिव शरीर रचना विभागाध्यक्ष प्रो.(डा.) नरेश चौधरी ने अवगत कराया कि इस तीन दिवसीय सेमिनार के माध्यम से मृत मानव शरीर के डिसेक्सन (शव-छेदन) द्वारा सभी प्रतिभागियों को सम्पूर्ण शरीर का विशेष रूप से ज्ञानार्जन कराया जाएगा। साथ ही साथ स्नात्कोत्तर छात्र छात्राओं के शोध पत्रों का भी प्रस्तुतिकरण होगा।
डा. नरेश चौधरी ने बताया कि इस सेमिनार में भारत के विभिन्न प्रदेशों के अतिरिक्त नीदरलैण्ड, स्विजरलैण्ड एवं स्पेन से भी प्रतिभागियों ने भी विशेष रूप से प्रतिभाग किया। साथ ही साथ जापान से भी तीन प्रतिभागी इस सेमिनार में सम्मिलित होंगें।
सेमिनार मे उत्तराखंड आयुर्वेद एवं यूनानी सेवाएं के निदेशक प्रो. (डा.) अरुण कुमार त्रिपाठी, उत्तराखंड आयु. वि.वि. के कुलसचिव प्रो. (डा.) अनूप कुमार गक्खड, गुरुकुल परिसर निदेशक प्रो. (डा.) पंकज शर्मा, ऋषिकुल परिसर निदेशक प्रो. (डा.) डीसी सिंह, सेवानिवृत्त वरिष्ठ संकाय सदस्य प्रो. (डा.) सम्पत तिवारी ने भी अपने अपने व्याख्यान दिये।
सेमिनार में लगभग 600 प्रतिभागियों के साथ साथ संकाय सदस्यों के साथ वर्चुअल माध्यमों से भी हजारों प्रतिभागी ने लाइव कार्यक्रम देखकर लाभ उठाया। सेमिनार में मुख्य रूप से संकाय सदस्यों प्रो. (डा.) केके शर्मा, प्रो. (डा.) ओपी सिंह, प्रो. (डा.) खेमचन्द्र शर्मा, प्रो. (डा.) रूबी रानी अग्रवाल व अन्य गणमान्य शिक्षक उपस्थित रहे।