शिवमय हुआ कुबेरेश्वरधाम, देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु हुए भोले की भक्ति में लीन

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19HREG239 शिवमय हुआ कुबेरेश्वरधाम, देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु हुए भोले की भक्ति में लीन

– सनातन धर्म को बदलने का कभी प्रयास नहीं करनाः पंडित प्रदीप मिश्रा

सीहोर, 19 फरवरी (हि.स.)। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी सात दिवसीय महाशिवरात्रि शिव महापुराण के चौथे दिन रविवार को भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। इस दौरान कुबेरेश्वर धाम शिवमय पूरी तरह शिवमय नजर आया। यहां पहुंच रहे श्रद्धालु पूरी भक्ति और आस्था के साथ कथा और भजन में लीन है। इसके अलावा शहर के अनेक स्थानों पर भी हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को अनेक समाजसेवियों द्वारा ठहराने के अलावा भोजन प्रसादी की व्यवस्था की गई है।

कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने प्रवचन के दौरान कहा कि सनातन धर्म को बदलने का कभी प्रयास नहीं करना, ये तो दुनिया के लोग केवल तुम्हें तोड़ रहे हैं, सनातन धर्म से दूर कर रहे हैं, सनातन धर्म से तोड़ रहे हैं। परंतु तुम्हें नहीं टूटना है। तुम्हें एक ही बात कहना है बोल बम का नारा है और बाबा एक सहारा है। उन्होंने सभी भक्तों को कहा कि आपको भोले पर भरोसा कायम रखना है। आप लाखों की संख्या में श्रद्धालु कथा का श्रवण करने पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं को कथा सुनने में किसी भी प्रकार की समस्या ना हो इसके लिए आयोजन समिति और सेवाभावी लोगों द्वारा भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। बड़ी संख्या में कथा सुनने आना आपकी भोलेनाथ के प्रति अविरल भक्ति को ही दर्शाता है। मैं आपको नमन करता हूं। भगवान के प्रति आपका यह भरोसा और दृढ़ता ही है कि आप महादेव की कथा को सुन रहे हैं। भक्ति को श्रवण कर रहे हैं। मेरा महादेव आपकी झोली को भरकर ही भेजेगा।

उन्होंने कहा कि जब तक शिव की कृपा नहीं होती करुणा नहीं होती जब तक भक्ति प्राप्त नहीं होती। शिव हमारा रोम रोम है। शिव हमारी धडकऩ में है, शिव हमारी दृष्टि है। जिसके बिना हम शून्य है। जब तक जीवित हो जब तक श्वांस चल रही है जब हमारे शिव हमारी धडकऩ में चल रहे हैं। यह श्वांस रूपी शिव है तो शरीर है। श्वास रूपी शरीर चले गए तो यह शरीर नहीं रहा यह शव बन गया। शिव है प्रथम और शिव ही है अंतिम। शिव है सनातन धर्म का परम कारण और कार्य। शिव को छोडक़र अन्य किसी में मन रमाते रहने वाले सनातन विरुद्ध है। शिव है धर्म की जड़। शिव से ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है। सभी जगत शिव की ही शरण में है, जो शिव के प्रति शरणागत नहीं है वह प्राणी दुख के गहरे गर्त में डूबता जाता है ऐसा पुराण कहते हैं। जाने-अनजाने शिव का अपमान करने वाले को प्रकृति कभी क्षमा नहीं करती है। शिव और शक्ति को प्राप्त करने के लिए हमारी प्रार्थना ही हमको इसके पास लाती है।

बेलपत्र का महत्व

पंडित मिश्रा ने कहा कि बेल के पेड़ की पत्तियों को बेलपत्र कहते हैं, बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं लेकिन इन्हें एक ही पत्ती मानते हैं। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र प्रयोग होते हैं और इनके बिना शिव की उपासना सम्पूर्ण नहीं होती। पूजा के साथ ही बेलपत्र के औषधीय प्रयोग भी होते हैं। इसका प्रयोग करके तमाम बीमारियां दूर की जा सकती हैं। इसका विधि-विधान से पूजन अर्चना करना चाहिए। भगवान शिव और माता पार्वती को बेल पत्र और शमी पत्र चढ़ाने के अनेक लाभ है। इसका हमारे शिवपुराण आदि में उल्लेख मिलता है।

विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि कुबेरेश्वरधाम में जारी सात दिवसीय शिवमहापुराण के दौरान सोमवार को पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा भगवान गणेश की लीलाओं का वर्णन किया जाएगा। मंदिर परिसर में 12 एकड़ में बनी भोजशाला से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं को भोजन-प्रसादी का वितरण किया जा रहा है। इसके अलावा यहां पर पेयजल आदि का भी इंतजाम समिति और समाजसेवियों के सहयोग से किया जा रहा है। सोमवार को कढ़ी-पूड़ी, सब्जी, खिचड़ी, नुक्ती आदि की भोजन प्रसादी का वितरण किया जाएगा। रविवार को भी करीब 50 क्विंटल से अधिक आटे की पूडी, तीन क्विंटल से अधिक नुक्ती, मिक्चर आदि भोजन प्रसादी का वितरण किया गया। भोजनशाला में करीब चार हजार से अधिक श्रद्धालुओं और अन्य संगठनों के सेवाभावी लोग भोजन निर्माण के साथ श्रद्धालुओं को प्रसादी का वितरण कर रहे है।