28HREG324 केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान बोले, गंगा मेले में भैंसा-बुग्गी से हटाएं रोक
मेरठ, 28 अक्टूबर (हि.स.)। हापुड़ जनपद के गढ़मुक्तेश्वर में लगने वाले कार्तिक गंगा मेले में लम्पी वायरस के कारण पशुओं के आने पर लगी रोक का विरोध शुरू हो गया है। कई जिलों में किसानों द्वारा विरोध किए जाने पर केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने भी इस प्रतिबंध का विरोध किया। हापुड़ जिला प्रशासन के अधिकारियों से बात करने के साथ ही प्रदेश के पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह को भी पत्र लिखकर इस प्रतिबंध को हटाने को कहा।
हापुड़ की जिलाधिकारी ने कार्तिक गंगा मेले में लम्पी वायरस के कारण पशुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। आसपास के सभी जिलों के डीएम को भी पत्र भेजकर इसकी जानकारी दे दी थी। पशुओं पर प्रतिबंध लगने की जानकारी मिलते ही शुक्रवार को मेरठ समेत कई जिलों में किसानों ने इस प्रतिबंध का विरोध शुरू कर दिया।
भाकियू के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने भी इस प्रतिबंध का विरोध किया और इसे वापस लेने की मांग की। किसानों के विरोध की जानकारी मिलते ही शुक्रवार शाम को केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने हापुड़ के प्रशासनिक अधिकारियों से फोन पर बात की। इसके बाद प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह, मेरठ मंडलायुक्त, हापुड़, मेरठ समेत कई जिलों के जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर कहा कि गंगा स्नान मेले भारतीय संस्कृति का मुख्य हिस्सा है। गढ़मुक्तेश्वर में 29 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहे कार्तिक गंगा स्नान मेले में भैंसा-बुग्गी के आवागमन पर रोक लगाई है। इसके पीछे पशुओं में फैली लंपी वायरस की बीमारी का हवाला दिया गया है। लम्पी वायरस केवल गौवंशीय पशुओं में पाया गया है जबकि देश में कहीं भी भैंसवंशीय, घोड़े, खच्चर आदि पशुओं में लम्पी वायरस नहीं पाया गया है। इस मेले में अधिकांश लोग भैंसा-बुग्गी में सवार होकर आते हैं। गौवंशीय पशु इस मेले में नहीं आते। इसलिए कार्तिक मेले में भैंसा-बुग्गी पर लगाई गई रोक को तत्काल हटाया जाए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गढ़ गंगा कार्तिक मेला पौराणिक और धार्मिक होने के कारण उत्तर प्रदेश, हरियाणा के लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। कोरोना के कारण दो साल बाद मेले का आयोजन किया जा रहा है। लाखों लोगों की आस्था एवं पुरानी संस्कृति को संजोने वाले कार्तिक मेला स्नान में श्रद्धालु अपने संसाधनों से आते और जाते हैं।