17HREG96 रावण वध कर अयोध्या लौटने पर श्रीराम का हुआ राजतिलक
हरीपुर की सात दिवसीय रामलीला का हुआ समापन, वरिष्ठ लोगों का हुआ सम्मान
राम-लक्ष्मण, रावण, अंगद, हनुमान, मंथरा, सूपर्णखा की भूमिका रहीं अद्वितीय
भदोही,17 अक्टूबर (हि.स.)। आदर्श रामलीला समिति हरीपुर अभिया की सात दिवसीय रामलीला का रविवार को रावण, कुम्भकर्ण, अहिरावण और मेघनाद वध के साथ समापन हो गया। प्रभु श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटने पर दिवाली का उत्सव मनाया गया। गुरु वशिष्ठ के आदेश के श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ। दिन में भरत मिलाप मेले आयोजन हुआ।
भदोही जनपद की ऐतिहासिक रामलीला में श्रीराम ने रावण , कुम्भकर्ण, मेघनाद का का वध किया। रावण को जब पता चला कि लक्ष्मण मूर्छा से जाग गए हैं । इसके बाद उसने मेघनाद को युद्ध के लिए भेजा। मेघनाद ने युद्ध में विजय पाने के लिए निकुम्भिला देवी के मंदिर में विजय यज्ञ किया। लेकिन यज्ञ भी युद्ध में काम नहीं आया। भीषण संग्राम में मेघनाद मारा गया, फिर रावण, भाई कुम्भकर्ण के पास गया। कुम्भकर्ण ने निद्रा से जागने के बाद रावण को समझाने की कोशिश की , लेकिन रावण नहीं माना। राम और कुम्भकर्ण के बीच हुए युद्ध में श्रीराम की विजय हुईं और कुम्भकर्ण मारा गया। इसके पूर्व हनुमान ने अहिरावण का वध कर श्रीराम और लक्ष्मण को अहिरावण से मुक्त कराया। घनघोर संग्राम में अहिरावण मारा गया और हनुमान एवं उनके पुत्र मकरध्वज के मध्य भी संवाद हुआ।
अंतिम समय में लंकाधिपति रावण अपनी सेना के साथ स्वयं युद्ध मैदान में उतरा। श्रीराम और रावण के बीच घनघोर संग्राम हुआ। दोनों के बीच हुए संवाद ने दर्शकों का मनमोह लिया। रावण और हनुमान के बीच मुष्टि युद्ध हुआ जिस पर दर्शक तालियां बजाते रहे। रावण की भूमिका में प्रभुनाथ शुक्ल और श्रीराम की भूमिका में भोला सिंह, लक्ष्मण की भूमिका में विंध्यवासिनी दूबे और कुम्भकर्ण की भूमिका में राजेश शुक्ल, दिनेश शुक्ल, विजय शुक्ल और बैकुंठनाथ के साथ हनुमान की भूमिका में पंकज दूबे, अंगद की भूमिका में अनिल शुक्ल,विभीषण की भूमिका में राजेंद्र सिंह का अभिनय सराहनीय रहा। सूपर्णखा की भूमिका में नेमधर दुबे, मंथरा की भूमिका में हरिओम तिवारी को लोगों ने खूब सराहा।
दिन में भरत मिलाप मेले में भारी भीड़ उमड़ी। रात्रि में सात दिवसीय रामलीला का राजतिलक के बाद समापन हुआ। समापन में पंडित देवी शंकर मिश्र, अनिल सिंह, सुधाकर दुबे और राकेश वर्मा मौजूद रहे। इस दौरान समिति के अध्यक्ष शंभुनाथ शुक्ल,सत्यप्रसाद शुक्ल, दीनानाथ शुक्ल और ठाकुर प्रसाद शुक्ल को सम्मानित किया गया। समापन की घोषणा के बाद संतोष दुबे ने सभी 50 पात्रों को दिवाल घड़ी भेंट की।