17HREG117 जहां ब्रह्म भी बेटा बन जाता है वह घर मंगल भवन कहलाता है: पं. श्याम जी मनावत
-समर्थ शिशु श्री रामकथा
सुलतानपुर, 17 अक्टूबर (हि.स.)। सरस्वती मंदिर मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, विवेकानंदनगर में चल रहे समर्थ शिशु श्री रामकथा में कथा व्यास पं. श्यामस्वरूप मनावत ने कहा कि जगत्पति, जगदीश्वर और जगन्नाथ कहलाने वाले परमेश्वर भी महाराज दशरथ के घर बेटा बन कर आ जाते हैं, इसलिए उनका कनक भवन मंगल भवन कहलाता है।
समर्थ शिशु श्री रामकथा के तीसरे दिन पण्डित श्यामस्वरूप मनावत ने कहा कि निराकार, निर्गुण, निर्लिप्त निःसीम ब्रह्म भी जहां सगुण, साकार, सम्बन्धी और सदेह होकर पुत्र बन जाता है। वह घर मंगल भवन कहलाता हैं। जीवन में साधना हो, सत्संकल्प हो, यज्ञ की कृपा हो और सद्गुरू का आशीर्वाद हो तो दशरथ का सूना आंगन ईश्वर की किलकारियों से गूंज उठता है।
उन्होेंने आज नामकरण की महिमा का गान किया। आपने आग्रह किया कि बच्चों के नाम सार्थक, सांस्कृतिक, सरल, सहज व सरस होना चाहिए। जिन नामों का उच्चारण सरल हो, जिसमें कोई प्रेरणा हो, कोई पौराणिक संदर्भ हो, जिसके उच्चारण से पुण्य मिलता हो, नाम ऐसे होना चाहिए। कथा में सरस्वती शिशु वाटिका के नन्हें बच्चों ने कार्यक्रम प्रस्तुत कर भक्तों को भाव विभोर कर दिया। कथा में डॉ. एके सिंह, सुमन सिंह, डॉ. राम जी गुप्ता, राम दयाल गुप्ता सपत्नीक और अमित सिंह आदि मौजूद रहे।