– दो महीनों में जीडीए ने बेची दो सौ करोड़ की सम्पत्ति
गाजियाबाद :- राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में व्यवसायिक व औद्योगिक सम्पत्ति की मांग एकाएक बढ़ गयी है, जबकि आवासीय सम्पत्ति में लोगों की रूचि काफी कम हो गयी है। यही कारण है कि पिछले दो महीनों के दौरान जीडीए ने अपनी 200 करोड़ की जो सम्पत्ति बेची है, उसमें करीब 80 प्रतिशत भूमि व्यवसायिक व औद्योगिक है।
जीडीए के व्यवसायिक विभाग के आंकड़े यह स्थिति बयाॅ कर रहे हैं। जिस स्तर पर आम लोगों की रूचि व्यवसायिक व औद्योगिक उपयोग के प्रति रूचि दिख रही है, उससे जीडीए के अधिकारी उत्साहित दिख रहे हैं।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के सम्पत्ति प्रभारी मनोज सागर बताते हैं कि पिछले दो महीनों के दौरान करीब 200 करोड़ रुपए की अपनी सम्पत्ति बेचने में सफलता पाई है। जिसमे जितनी भी सम्पत्ति की बिक्री हुई है उसमें ज्यादातर व्यवसायिक या फिर औद्योगिक उपयोग की है। जीडीए के आंकड़े बताते हैं कि आवासीय सम्पत्ति की उस स्तर पर बिक्री नहीं हो पाई जिसकी उम्मीद जीडीए अधिकारियों को थी।
मनोज सागर ने बताया कि जीडीए ने अपनी सम्पत्ति को बेचने के लिए 21 अक्टूबर से शिविर आदि लगाने का काम शुरू किया था। इन शिविरों में लोगों की आवाजाही बनी रही और अभी तक जीडीए इन शिविरों के माध्यम से करीब 200 करोड़ रुपए की सम्पत्ति की बिक्री कर चुका है। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा सम्पत्ति जीडीए की मधुबन बापूधाम योजना में बेची गई है। उसमें भी ज्यादातर सम्पत्ति औद्योगिक व व्यवसायिक उपयोग की थी। हालांकि आवासीय सम्पत्ति इस कॉलोनी में अब बहुत कम बची है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा इंदिरापुरम में भी जीडीए ने कुल 24 आवासीय भूखंडों की बिक्री के लिए नीलामी निकाली थी। जिसमे से 23 भूखंडों की बिक्री हो चुकी है। इससे जीडीए को करोड़ों की आय हुई है। इसके साथ ही प्रताप विहार में ग्रुप हाउसिंग स्कूल आदि के इस्तेमाल के लिए जीडीए के सम्पत्ति की बिक्री हुई है। उनका कहना है कि जीडीए को अपनी सम्पत्ति बेचने में लगातार सफलता मिल रही है। जिससे साबित होता है कि आम लोगों में जीडीए के प्रति विश्वास बढ़ा है।
वहीं रियल एस्टेट कारोबारी नरेंद्र कुमार बताते हैं कि कोरोना काल के बाद लोगों में औद्योगिक या व्यवसायिक सम्पत्ति खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसकी वजह यह है कि उन्हें उम्मीद आने वाले समय में औद्योगिक व व्यवसायिक सम्पत्ति के दिन बहुरने लगे हैं।