देहरादून: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सलाहकार भाष्कर खुल्बे ने शुक्रवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट की। इस दौरान केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों और बद्रीनाथ के सौन्दर्यीकरण से संबंधित मास्टर प्लान पर विस्तार से चर्चा की।
सलाहकार भाष्कर खुल्बे ने मुख्यमंत्री से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन के अन्तर्गत निर्मित होने वाले स्टेशनों को पर्वतीय शिल्प कला के अनुरूप बनाए जाने की बात कही। इससे पर्वतीय क्षेत्र के शिल्पियों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चार धाम सड़क परियोजना के साथ ही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उत्तराखण्ड को बड़ी देन है। वह समय दूर नहीं, जब पहाड़ में रेल का सपना पूरा होगा। इससे राज्य की आर्थिकी में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। मार्च 2024 तक परियोजना को पूर्ण किए जाने के लक्ष्य के साथ काम किया जा रहा है। ऋषिकेश के बाद परियोजना मुख्यतः अंडरग्राउंड है। भूमि अधिग्रहण किया जा चुका है। इस रेल लाइन पर 12 स्टेशन और 17 टनल बनाये जा रहे हैं। काम निर्धारित समयावधि में पूरा किया जा सके, इसके लिए विभिन्न स्थानों पर एक साथ काम चल रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जी.एस.टी.क्षतिपूर्ति देने की अवधि जून 2022 में समाप्त हो रही है, राज्य की आर्थिक स्थिति की मजबूती के लिए जी.एस.टी कन्सेसन की अवधि को बढ़ाया जाना राज्य हित अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्तमान में उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून से विश्वस्तरीय टिहरी झील जाने के लिए मसूरी-चम्बा कोटी कालोनी मोटर मार्ग से कुल 105 किमी की दूरी लगभग 3.30 घण्टे का समय लगता है। उक्त टनल देहरादून के राजपुर के निकट से प्रस्तावित है, जो कि टिहरी झील के निकट कोटी कालोनी में समाप्त होगी। टनल की कुल लंबाई लगभग 35 किमी.आएगी। टनल के निर्माण की अनुमानित लागत 8750 करोड़ रूपये आएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एम्स ऋषिकेश होने के पश्चात भी राज्य के पर्वतीय दूरदराज कुमाऊं मंडल के इलाके, भौगोलिक दूरी होने के कारण सुपरस्पेशियलिटी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं। एम्स के लिए भूमि उत्तराखंड राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी। पूर्व में भी एक राज्य में दो एम्स जैसे विश्व स्तरीय संस्थान स्थापित किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के क्षेत्रीय सामाजिक सांस्कृतिक तथा पर्यटन के विकास और सामरिक दृष्टिकोण से रेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा टनकपुर और बागेश्वर के बीच नैरो गेज रेलवे लाइन के लिए सर्वे का आदेश निर्गत किया गया है। यह लाइन ब्राडगेज में होनी चाहिए। चीन और नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के निकट स्थित होने के कारण यह रेल लाईन सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही यह नए व्यापार केन्द्रों को भी जोड़ेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सामरिक उद्देश्य और सीमांत जनपदों के विकास की आवश्यकता को देखते हुए टनकपुर बागेश्वर रेलवे लाईन का नैरोगेज की बजाय ब्राडगेज लाईन का सर्वे किया जाए।