नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया जिसमें उसने वकील करने, पुलिस अभिरक्षा के दौरान परिवार के साथ बात करने, गर्म कपड़े, किताबें और घर में पका हुआ भोजन देने की अनुमति मांगी थी। 21-वर्षीय कार्यकर्ता को किसानों के विरोध से संबंधित सोशल मीडिया पर कथित रूप से ‘टूलकिट’ को संपादित करने और साझा करने के मामले में शनिवार को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था और अगले दिन पांच दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था।
गर्म कपड़े, माता-पिता के साथ 15 मिनट तब बात करने और 30 मिनट के लिए वकील से मिलने के अलावा चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने ‘टूलकिट’ मामले में एफआईआर, रिमांड एप्लिकेशन और अरेस्ट मेमो तक उसकी पहुंच (एक्सेस) की भी अनुमति दी है।
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने “भारत सरकार के खिलाफ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध” छेड़ने के लिए ‘टूलकिट’ के “खालिस्तान समर्थक” रचनाकारों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी।
रविवार को दिल्ली पुलिस ने ट्विटर के माध्यम से मामले की विस्तृत जानकारी दी। इसमें लिखा है कि दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार दिशा रवि टूलकिट गूगल डॉक की संपादक है और दस्तावेज के निर्माण और प्रसार में महत्वपूर्ण साजिशकर्ता है।
पुलिस ने कहा कि उसने व्हाट्सएप ग्रुप शुरू किया और टूलकिट दस्तावेज बनाने के लिए दूसरों के साथ सहयोग किया। उसने इसका मसौदा तैयार करने के लिए उनके साथ मिलकर काम किया।
पुलिस ने ट्विटर पर लिखा कि इस प्रक्रिया में उन्होंने भारत राष्ट्र के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए खालिस्तानी पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ सहयोग किया। उसने ही ग्रेटा थनबर्ग के साथ टूलकिट डॉक साझा किया था।
उसकी गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने प्रो-खालिस्तानी ग्रुप – पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन और उसके सक्रिय सदस्यों की पहचान करने और डिलीट किए गए व्हाट्सएप ग्रुप को पुर्नप्राप्त करने के लिए अदालत से 21-वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता की पांच-दिन की हिरासत भी मांगी थी जो उसे मिल गई।