विषम भूगोल और 71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में इस मर्तबा सर्दियों से ही जंगलों के सुलगने से वन महकमा सहमा हुआ है। चार माह के वक्फे में ही आग की 252 घटनाओं में 336 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंच चुका है।
देहरादून। विषम भूगोल और 71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में इस मर्तबा सर्दियों से ही जंगलों के सुलगने से वन महकमा सहमा हुआ है। चार माह के वक्फे में ही आग की 252 घटनाओं में 336 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंच चुका है। चिंता ये सता रही कि आने वाले दिनों में तापमान बढ़ने पर यह खतरा और अधिक बढ़ सकता है। इसे देखते हुए महकमा तैयारियों में जुट गया है। सभी वन प्रभागों को कंट्रोल बर्निंग, कंट्रोल रूम व क्रू-स्टेशनों में कार्मिकों की तैनाती समेत अन्य व्यवस्थाएं चाक-चौबंद करने को कहा गया है। यही नहीं, जिला व ब्लाक स्तर पर गठित कमेटियों के साथ ही वन पंचायतों को सक्रिय किया जा रहा है।
उत्तराखंड में अमूमन 15 फरवरी से मानसून के आने तक की अवधि को जंगलों की आग के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है। इसी अवधि में जंगल सर्वाधिक धधकते हैं और इसीलिए इसे फायर सीजन कहा जाता है। इस मर्तबा स्थिति बदली-बदली सी है। सर्दी की दस्तक के साथ ही जंगल सुलग रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर से अब तक की तस्वीर देखें तो गढ़वाल क्षेत्र में आग की 162 घटनाओं में 201.55 हेक्टेयर जंगल झुलसा है।
इसी तरह कुमाऊं क्षेत्र में आग की 90 घटनाओं में 132.37 हेक्टेयर जंगल को क्षति पहुंची है। सूरतेहाल चिंता बढ़ना लाजिमी है और इसी के दृष्टिगत ये साफ किया गया है कि अब फायर सीजन चार माह नहीं, बल्कि वर्षभर रहेगा। जाहिर है कि जंगलों को आग से बचाने के लिए वर्षभर अलर्ट मोड में वन महकमा रहेगा। इसी कड़ी में महकमे ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
राज्य के नोडल अधिकारी (वनाग्नि) मान सिंह के अनुसार सभी वन प्रभागों को अलर्ट मोड पर रहने के साथ ही जंगलों की आग से निबटने के लिए तैयारियों में जुटने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि प्रभागों को वन क्षेत्रों में कंट्रोल बर्निंग, फायर लाइनों की सफाई, कंट्रोल रूम व क्रू-स्टेशनों में कार्मिकों की तैनाती के साथ ही जनजागरण की मुहिम तेज करने के निर्देश दिए गए हैं। जिला व ब्लाक स्तर पर गठित वनाग्नि सुरक्षा समितियों को सक्रिय करने के साथ ही उन्हें निरंतर मानीटरिंग को कहा गया है। प्रभागों से कहा गया है कि वे हर सप्ताह आग के मद्देनजर समीक्षा करें। वायरलेस सिस्टम को हर परिस्थिति में दुरुस्त करने को कहा गया है, ताकि सूचनाओं का आदान-प्रदान तत्काल हो सके।