गाजियाबाद। कृषि विधेयक के विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता पुष्पेंद्र रावत ने साफ कहा है कि वे भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता है,परन्तु पहले वे एक किसान का बेटे है। कृषि क्षेत्र में लाये गए सुधारवादी कानून को लेकर उन्होने किसान हित में आवाज उठाई है ओर अपने सुझाव भेजे है। उनके उठाये गये इस कदम को लेकर पार्टी में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
पार्टी नेता पुष्पेद्र रावत ने कहा है कि एमएसपी(न्यूनतम समर्थन मूल्य) को लेकर उठ रहे सवालो को देखते हुयें अलग से धाराएं और सजा निश्चित होना चाहिए । कहा कि सरकारी गैर सरकारी मंडी व्यापारी का समर्थन मूल्य से नीचे खरीदारी नहीं करेगा । सरकारी मंडियां खरीद न करके अपना पल्ला झाड़ लेगी और किसान मजबूरी में निजी व्यापारी के पास अपना फसल बेचने को मजबूर होगा। जिससे व्यापारी किसानों का खून चूसेगा इसके साथ-साथ एक अर्थव्यवस्था और खराब होगी। इससे कालाबाजारी और बढ़ेगी।
किसानों से सस्ते कीमत पर फसल खरीद गया भंडारण करेगा और व्यापारी बैठे हुए कीमतों पर फसल बेचेगा आम आदमी को फसल महंगी मिलेगी और महंगाई भी बढ़ जाएगी। साथ ही वस्तुएं आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जाएंगी। नई व्यवस्था में मंडियों के बाहर कोई टैक्स नहीं लगेगा । इससे मंडियों से।व्यापार बाहर जाने और भविष्य में मंडी बंद होने की आशंका।बनी रहेगी इसलिए यह कानून होना चाहिए । उन्होने कहा कि।यह व्यवस्था जमीन दारी व्यवस्था भी कही जा सकती है इस तरह व्यापारी किसान की जमीन को अपनी शर्तों पर गिरवी करता चला जाएगा और उस पर काबिज हो जाएगा ।
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह ने अपने अथक प्रयासों से इस जमीदारी प्रथा को खत्म किया था और मजदूरों को मालिक बनाया था,इसीलिए उनके जन्मदिन 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसलिए 24 दिन से किसान धरने पर हैं । उन्होने सरकार से हस्तक्षेप कर इस अध्यादेश में संशोधन किये जाने की मांग को रखा है।