गाजियाबाद। निश्चित रूप से जब कहीं वरिष्ठ लोगों को दरकिनार करते हुए नए लोगों के हाथ में कमान सौंप दी जाए तब विवाद का उत्पन्न होना तय है। ऐसा ही कुछ इन दिनों लोनी क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। जहां समाजवादी पार्टी की महिला सभा के नेतृत्व को लेकर असमंजस की स्थिति है। दरअसल लोनी क्षेत्र में जिस तरह से एक नई कार्यकर्ता को विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उसको लेकर वरिष्ठ महिला नेत्रिओं के बीच असंतोष की लहर देखी जा रही है। निश्चित रूप से आगामी विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे ही इस तरह की बातें कहीं ना कहीं पार्टी को नुकसान पहुंचाने का काम कर सकती है।
इस संबंध में सपा नेत्री दुर्गेश चौधरी का कहना है कि लोनी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 5 लाख मतदाता हैं। जहां महिला मतदाताओं की संख्या दो लाख के आसपास है। ऐसे में क्षेत्र में ऐसी एक महिला नेत्री को विधानसभा अध्यक्ष की कमान सौंपी चाहिए थी जो कि पार्टी के हित में लंबे समय से लगातार काम कर रही हो और अनुभव का लाभ उठाते हुए पार्टी को महिलाओं के बीच मजबूत बनाने का काम कर सके।
लेकिन महिला सभा की विधान सभा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी एक ऐसी कार्यकर्ता को दे दी गई है जो कि पार्टी की सदस्य है या नहीं इस बात पर भी संशय है। युवाओं को नेतृत्व देने में कोई गलत बात नहीं है लेकिन अनुभवी नेतृत्व के साथ जब युवा टीम मिलकर काम करती है तब वांछित परिणाम हासिल होते हैं। विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी को दी गई है उसका क्षेत्र में ना तो कोई वजूद है और ना ही कोई पहचान। ऐसे में वह पार्टी के लिए मात्र डेढ़ वर्ष में किस तरह से दो लाख महिला मतदाताओं तक मजबूती से पहुंचने का काम करेगी यह बखूबी समझा जा सकता है।
वही इस संबंध में सपा की वरिष्ठ नेत्री एवं पूर्व मनोनीत पार्षद यासमीन कौसर का कहना है कि पार्टी जिसे चाहे जिम्मेदारी दे बस इतना अवश्य होना चाहिए कि जिस व्यक्ति को जिम्मेदारी दी गई है वह उस योग्य है या नहीं। साथ ही वह क्षेत्र में कितना प्रभाव रखता है और पार्टी के हित में कितना काम कर सकता है, इसका आकलन भी पद देने से पहले अवश्य करना चाहिए।
गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व सपा महिला सभा ने मेनका त्यागी को लोनी विधानसभा का अध्यक्ष मनोनीत किया गया था लेकिन तब से लेकर अब तक लोनी क्षेत्र में ना तो कमेटी का गठन हुआ है और ना ही किसी प्रकार की गतिविधि दिखाई दे रही है। जिसके बाद से क्षेत्र में इस मनोनयन को लेकर विवाद उत्पन्न हो चुका है।