नई दिल्ली, 28 दिसंबर । केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सुरक्षित हार्नेसिंग ऑफ एटॉमिक न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी फॉर इंडस्ट्री एंड इनोवेशन (शांति) विधेयक मोदी सरकार के सबसे बड़े विज्ञान सुधारों में दर्ज होगा। मोदी 3.0 कार्यकाल विज्ञान, नवाचार, उद्यमिता तथा स्वच्छ परमाणु ऊर्जा विस्तार पर केंद्रित संरचनात्मक सुधारों का दौर है। यह विधेयक 6 दशक से लंबित परमाणु क्षेत्र की बाधाओं को समाप्त कर उद्योग, चिकित्सा, अनुसंधान तथा ऊर्जा सुरक्षा में नए अवसर खोलेगा।
डॉ. सिंह ने यहां एक साक्षात्कार में कहा कि मोदी सरकार को तकनीकी तथा आर्थिक भविष्य तय करने वाले क्षेत्रों की पुरानी वर्जनाओं को तोड़ने के लिए याद किया जाएगा। शांति विधेयक विज्ञान-आधारित सुधारों को राष्ट्रीय परिवर्तन के केंद्र में स्थापित करता है, जो पहले कभी सुधार विमर्श का मुख्य हिस्सा नहीं रहा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक परमाणु क्षेत्र में शांतिपूर्ण, स्वच्छ तथा टिकाऊ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है तथा सुरक्षा, संप्रभुता तथा जनहित के मानकों से कोई समझौता नहीं करता। उन्होंने स्मरण कराया कि डॉ होमी जहांगीर भाभा के समय से भारत का परमाणु कार्यक्रम ऊर्जा, स्वास्थ्य तथा विकास के लिए शांतिपूर्ण उपयोग पर आधारित रहा है और यह विधेयक उसी मूल दर्शन को और सशक्त करता है।
डॉ. सिंह ने कहा कि उभरती कृत्रिम-बुद्धि, क्वांटम तथा आंकड़ा-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए 24×7 बिजली अनिवार्य है, जिसमें परमाणु ऊर्जा की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि नवीकरणीय स्रोत रुक-रुक कर मिलने वाले हैं। मंत्री ने कहा कि भारत की परमाणु बिजली क्षमता 2014 में लगभग 4.4 गीगावाट थी, जो आज बढ़कर करीब 8.7 गीगावाट हो गई है, यानी दोगुनी। सरकार का लक्ष्य 2047 तक लगभग 100 गीगावाट क्षमता हासिल करना है, जिससे देश की बिजली जरूरत का करीब 10 प्रतिशत हिस्सा परमाणु ऊर्जा से पूरा हो सके और नेट-शून्य लक्ष्य में मदद मिले।
उन्होंने कहा कि कैंसर जांच, उपचार तथा समस्थानिक आधारित परमाणु-चिकित्सा में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है और यह मानव कल्याण का बड़ा आधार बन रहा है। उन्होंने बताया कि भारत लघु-मॉड्यूलर-रिएक्टर तकनीक की ओर भी बढ़ रहा है, जो शहरी, औद्योगिक तथा आर्थिक गलियारों के लिए उपयुक्त होगी।
मंत्री ने कहा कि शांति विधेयक को वैज्ञानिक-समुदाय, उद्योग, नवोन्मेष तंत्र, स्टार्टअप तथा अन्य हितधारकों का व्यापक समर्थन मिला है, जो परमाणु क्षेत्र के आधुनिकीकरण पर राष्ट्रीय सहमति को दर्शाता है। यह विधेयक मोदी 3.0 की विज्ञान-आधारित सुधार नीति का प्रतीक है, जो 2047 तक विकसित भारत की राह तय करेगा।
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