विधानसभा घेराव को जा रहे एवीबीपी कार्यकर्ताओं पर पुलिस का लाठीचार्ज, करीब एक दर्जन घायल

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उधर इस घटना के बाद भाजपा सहित संगठन के नेताओं ने सरकार के इस रवैये की कड़ी निंदा की है।

एवीबीपी की प्रदेश मंत्री नैंसी अटल ने कहा कि विद्यार्थी परिषद द्वारा विधानसभा घेराव के दौरान सरकार का क्रूर और बर्बर चेहरा सामने आ गया। विद्यार्थियों की आवाज़ उठाना लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन हिमाचल की सुक्खू सरकार ने आज छात्राओं पर लाठीचार्ज करवाकर लोकतंत्र का गला घोंट दिया। कई छात्राओं को पुलिस कर्मियों ने लातों और डंडों से मारा, जिससे दर्जन से अधिक कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

नैंसी अटल ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से सरकार ने हिमाचल के युवाओं को सिर्फ तंग किया है—शिक्षा व्यवस्था को खोखला किया, विश्वविद्यालयों को नेतृत्वहीन छोड़ा, नौकरियों का झूठा सपना दिखाया, कानून व्यवस्था को ध्वस्त किया और अब छात्राओं पर हमला करवाकर अपनी मानसिकता साफ कर दी है। यह सरकार डरपोक है, कमजोर है और विद्यार्थियों की बढ़ती आवाज़ से घबराई हुई है।

उन्होंने कहा कि “अब विद्यार्थी परिषद चुप नहीं बैठेगी। जितना तीन वर्षों में इस सरकार ने युवाओं को सताया है, उतना ही आने वाले दो वर्षों में अभाविप इस सरकार से हर मोर्चे पर जवाब लेगी।

उन्होंने कहा कि “व्यवस्था परिवर्तन” का नारा देकर सत्ता में आई सरकार ने पूरे हिमाचल को व्यवस्था पतन के दलदल में धकेल दिया है। छात्र संघ चुनाव बहाल न करना लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है। सरदार पटेल विश्वविद्यालय के विस्तार की मांग लगातार ठुकराई जा रही है। कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर, तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर और नौनी विश्वविद्यालय वर्षों से स्थाई कुलपतियों के बिना चल रहे हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालय के धर्मशाला कैम्पस का निर्माण फाइलों में अटका है, 30 करोड़ रुपये जमा न करना सरकार की गैर-गंभीरता का प्रमाण है। इन सभी मुद्दों पर जब बुधवार को अभाविप कार्यकर्ताओं ने इन विधानसभा घेराव करने की कोशिश की तो सरकार ने संवाद के बजाय दमन को चुना। छात्र छात्राओं पर लाठीचार्ज व छात्रा कार्यकर्ताओं को लातों से मारा गया जिसमें दर्जनों विद्यार्थी कार्यकर्ता घायल यह घटना बताती है कि सरकार न तो युवाओं की आवाज़ सुनना चाहती है और न शिक्षा-रोजगार जैसे मुद्दों को हल करना चाहती है। प्रदेश मंत्री ने कहा कि विद्यार्थी परिषद अब सड़कों से लेकर सदन तक इस दमनकारी सरकार को चैन से नहीं बैठने देगी। यदि हमारी मांगें तुरंत पूरी नहीं की गईं, तो आने वाले दो वर्ष सरकार के लिए सबसे कठिन होंगे।