नालंदा जिले में बाल विवाह के खिलाफ शपथ समारोह आयोजित

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इस कार्यक्रम में प्रखंड अंतर्गत विभिन्न पंचायतों की मुखिया पंचायत प्रतिनिधि आंगनबाड़ी सेविका सहायिका स्थानीय बुद्धिजीवी तथा बड़ी संख्या में ग्रामीण महिला शामिल हुईं।

कार्यक्रम की शुरुआत स्थानीय प्रतिनिधियों द्वारा दीप प्रज्वलन और स्वागत भाषण के साथ हुई जिसके पश्चात बाल विवाह के दुष्परिणामों इसके कानूनी प्रावधानों एवं इसके समाज पर पड़ने वाले प्रभावों पर विस्तृत चर्चा की गई। उनके द्वारा कहा गया कि बाल विवाह एक हानिकारक सामाजिक प्रथा है जो बच्चों के स्वास्थ्य शिक्षा मानसिक विकास और भविष्य की संभावनाओं को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।

इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों ने सामूहिक रूप से बाल विवाह रोकथाम की शपथ ली। शपथ में यह संकल्प लिया गया कि— वे अपने परिवार, समुदाय और गांव में किसी भी परिस्थिति में बाल विवाह नहीं होने देंगे ऐसी किसी घटना की जानकारी तुरंत पंचायत और प्रशासन वन स्टॉप सेंटर के टोल फ्री न0 -181 को देंगे बालिकाओं की शिक्षा सुरक्षा और पोषण में सक्रिय भागीदारी करेंगे तथा समाज में बेटी सम्मान और महिला सशक्तिकरण का संदेश फैलाने में अग्रणी भूमिका निभाएँगे।

मुखिया ने अपने संबोधन में कहा कि समाज में बदलाव तभी संभव है जब हर नागरिक जागरूकता के साथ ज़िम्मेदारी निभाए। उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर पर बाल विवाह प्रतिबंधित करने के लिए विशेष निगरानी दल सक्रिय किए जाएंगे तथा स्कूल–आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से किशोरियों के परामर्श सत्र भी आयोजित किए जाएंगे।

महिला ग्रामीणों ने खुलकर अपने विचार रखे और कहा कि अब समय आ गया है कि हर परिवार बालिकाओं को अवसर, सुरक्षा और समान अधिकार दे। उन्होंने प्रशासन एवं पंचायत प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि वे बाल विवाह रोकथाम अभियान में कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करेंगी।कार्यक्रम का संचालन राजीव कुमार – जिला मिशन समन्वयक, सी-3 के प्रतिनिधि नेहा कुमारी, रौशन कुमार पंचायत की मुखिया, जीविका समूह की दीदियाँ और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। अंत में सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया गया तथा बताया गया कि आने वाले समय में पंचायत क्षेत्र में जन-जागरूकता रैली, स्कूल स्तर कार्यशाला, और किशोरी समूह मीटिंग के माध्यम से इस अभियान को और मजबूत किया जाएगा।

अधिकारियों ने यह संदेश देते हुए कार्यक्रम का समापन किया कि—“बाल विवाह एक सामाजिक बुराई और कानून का उलंघन है जो बालिकाओं की शिक्षा, सुरक्षा स्वास्थ्य और विकास में बाधा है जो उन्के सपनों को साकार होने से रोकता है जिसे रोकने का प्रयास सबसे पहले अपने घर से करेंगें और समाज को जागरूक करेगें।