स्वजनों ने बताया कि, वर्षों से पंचायत में आवेदन दिए जा रहे हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला। ज्योति के पिता डोमार सिंह रघुवंशी ने व्यथित मन से कहा कि बेटी के लिए दिव्यांगता अभिशाप बन गई है। हमने कई बार आवेदन किया, लेकिन आज तक पेंशन स्वीकृत नहीं हुई। क्या सरकार के पास ऐसी कोई योजना नहीं जो मेरी बेटी को सहारा दे। कहते-कहते उनकी आंखें नम हो गईं। दिव्यांगजनों के लिए बनी योजनाएं अगर जरूरतमंदों तक न पहुंचें, तो उनका उद्देश्य अधूरा ही रह जाता है। ऐसी स्थिति में शासन-प्रशासन को तत्काल संज्ञान लेकर इस परिवार की मदद करनी चाहिए। इस संबंध में पंचायत सचिव त्रिलोक धरुव ने बताया कि ज्योति रघुवंशी का नाम वर्ष 2003 की सर्वे सूची में दर्ज नहीं होने के कारण उनकी पेंशन स्वीकृत नहीं हो पा रही है। पंचायत से आवेदन जनपद में भेजा जाता है, लेकिन सर्वे सूची में नाम न होने के चलते फार्म हर बार निरस्त हो जाता है।