ग्रामीणों के अनुसार, बुधवार शाम दो गाड़ियां गांव पहुंचीं एक पर कन्नौज जिले का नंबर था, जबकि दूसरी बिना नंबर की थी। बताया गया कि कई पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में थे और सीधे खेतों में बनी झोपड़ियों तक पहुंच गए। आरोप है कि उन्होंने पहले झोपड़ियों के बाहर शराब पी, फिर अंदर घुसकर बच्चों को बेरहमी से पीटा और महिलाओं से दुर्व्यवहार किया।
महिलाओं ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उनसे कहा, “तुम लोग आदिवासी नहीं लगतीं, झूठ बोल रही हो,” और इस दौरान उनके साथ अभद्रता की गई। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस ने झोपड़ियों में रखे जेवरात, नकदी, कपड़े, खाने-पीने का सामान और करीब 20 मोबाइल फोन जब्त कर लिए, जिससे परिवारों का बाहरी संपर्क पूरी तरह टूट गया।
पीड़ित महिलाओं का कहना है कि मोबाइल छिन जाने के बाद वे न तो किसी से मदद मांग पा रही हैं, न ही अपने लापता परिजनों का हाल जान पा रही हैं। घुमंतू परिवारों ने प्रशासन से मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
घटनास्थल से लौटी जनता दल यूनाइटेड की महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल ने गुरुवार की शाम बताया कि महिलाओं के साथ इस बेरहमी से मारपीट की गई है कि उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उनके शरीर के तमाम अंगों में पिटाई के निशान हैं। उन्होंने मौके के वीडियो भी जारी किए हैं।
वहीं इस संबंध में क्षेत्राधिकारी नरैनी कृष्णकांत त्रिपाठी ने बताया कि बदौसा क्षेत्र में कुछ टप्पे बाजी की घटनाएं हुई हैं। जिसमें घुमंतु परिवारों की संलिप्तता पाई गई है। सर्विलांस के माध्यम से इन परिवारों को चिन्हित कर पुलिस द्वारा दबिश देने की जानकारी मिली है। लेकिन दबिश देने वाली पुलिस मेरे सर्किल क्षेत्र की नहीं है इसलिए इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है।