शिव महापुराण कथा सुनने से जन्म-जन्मांतर के धुल जाते हैं पाप : टीकम शरण महाराज

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जीवन के हर कार्य को दिल और विश्वास से करना चाहिए—चाहे वह भजन-कीर्तन हो या कोई अन्य कार्य। ऐसा करने से जीवन में सुख और शांति प्राप्त होती है। उन्होंने विवाह संस्कार को जीवन का पवित्र संस्कार बताते हुए कहा कि आज का मानव धीरे-धीरे संस्कारों से दूर होता जा रहा है। बिना संस्कारों के जीवन का कोई मूल्य नहीं रहता। माता-पिता की आज्ञा के बिना कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए और भक्ति में कभी दिखावा नहीं होना चाहिए। आचार्य महाराज ने मां भगवती के सती रूप, उनके अग्नि में लीन होने, तथा हिमालय पर महाराज हिमालय और मैना देवी के यहां पार्वती के जन्म की कथा का वर्णन किया।

उन्होंने बताया कि मां पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पाने के लिए घोर तपस्या की थी। कथा का आयोजन आठ नवंबर से चल रहा है और यह 14 नवंबर 2025, शुक्रवार तक प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से शाम छहबजे तक अन्नपूर्णा सदन, देवांगन चौक, हटकेशर, धमतरी में आयोजित किया जा रहा है। गुरुवार को कथा में श्री कार्तिक जन्म, तारका वध, श्री गणेश जन्म और शिव पुत्रियों के जन्म की कथा का वर्णन हुआ। शुक्रवार को प्रातः 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक शोभा यात्रा निकाली जाएगी। दोपहर 2 बजे से त्रिपुट निर्माण, त्रिपुरासुर दमन, पूर्णाहूति, सतधरा स्नान और भंडारे के साथ कथा का समापन किया जाएगा। परायणकर्ता पं. नूतन प्रसाद महाराज (ग्राम हरदी छुरा, जिला गरियाबंद) हैं।

इस अवसर पर रमेश कुमार देवांगन, अन्नपूर्णा देवांगन, आशीष देवांगन, एकता देवांगन, कविता देवांगन, नारायण देवांगन, शशी देवांगन सहित बड़ी संख्या में शिव भक्त उपस्थित रहे।