सहकारिता मंत्रालय के अनुसार कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार सहित केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर लाभार्थियों को गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाजों की चाबियां सौंपी जाएंगी। यह पहल आत्मनिर्भर भारत और ‘ब्लू इकोनॉमी’ के सशक्तीकरण की दिशा में मील का पत्थर मानी जा रही है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के अंतर्गत यह पोत लाभार्थियों को दिए जा रहे हैं, जिनकी प्रति इकाई लागत 1.2 करोड़ रुपये है। इसमें केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और मत्स्य विभाग का संयुक्त वित्तीय सहयोग है। इस योजना का उद्देश्य भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र और दूरस्थ समुद्री क्षेत्रों में मत्स्य संसाधनों के दोहन की क्षमता को बढ़ाना है।
मत्स्य और सहकारिता मंत्रालयों के संयुक्त कार्य समूह, सहकारी समितियों और मत्स्य उत्पादक संगठनों के माध्यम से गहरे समुद्री मत्स्य व्यवसाय को तेज गति देने पर काम कर रहा है। पारंपरिक रूप से भारतीय मछुआरे 40 से 60 समुद्री मील तक सीमित क्षेत्रों में कार्य करते रहे हैं, जिससे उत्पादन और आय सीमित रही है। नई पहल से इन सीमाओं का विस्तार होगा और उच्च मूल्य वाली मछलियों जैसे टूना के निर्यात में वृद्धि की संभावना है।
मझगांव डॉक पर पोतों का यह उद्घाटन भारत के समुद्री मत्स्य क्षेत्र के आधुनिकीकरण में एक महत्वपूर्ण चरण है। ये पोत नवीनतम तकनीक से सुसज्जित हैं, जो पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए उत्पादन क्षमता बढ़ाएंगे। इसके साथ ही सहकारी संस्थाओं, विशेष रूप से महिलाओं द्वारा संचालित संगठनों को भी प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे तटीय समुदायों का सामाजिक और आर्थिक सशक्तीकरण संभव होगा।