हिमफैड में प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोप, चुने हुए बोर्ड सदस्यों ने जताई कड़ी आपत्ति

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सदस्यों ने कहा कि माननीय न्यायालय ने राज्य सरकार को 30 जून 2025 तक हिमफैड बोर्ड के अध्यक्ष और नामित सदस्यों की नियुक्ति के निर्देश दिए थे। आदेश के अनुसार यदि सरकार निर्धारित समय में यह प्रक्रिया पूरी नहीं करती, तो अध्यक्ष का चयन निर्वाचित निदेशकों में से किया जाना था। हालांकि सरकार ने 16 जुलाई 2025 को बोर्ड की बैठक तो बुलाई लेकिन प्रबंध निदेशक को आपदा प्रबंधन ड्यूटी के बहाने मंडी भेज दिया गया और बैठक टाल दी गई। बाद में वे बीमारी का हवाला देकर छुट्टी पर चले गए।

राकेश ठाकुर ने कहा कि यह घटनाक्रम न्यायालय के आदेशों की अवमानना के समान है। उन्होंने आरोप लगाया कि सितंबर 2025 में सरकार ने मनमाने ढंग से दो व्यक्तियों को हिमफैड का सदस्य और महेश्वर सिंह को अध्यक्ष नामित कर दिया, जिन्होंने चुने हुए निदेशकों की स्वीकृति के बिना ही पदभार संभाल लिया।

सदस्यों ने दावा किया कि हिमफैड वर्तमान में गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है। किसानों के लिए खाद के स्टॉक समाप्त हो चुके हैं, जबकि पूर्व में लाभ देने वाला MIS कार्य हिमफैड से हटाकर HPMC को सौंप दिया गया है। वहीं घाटे में चल रही शराब की दुकानें जबरन हिमफैड को दी गईं, जिससे करोड़ों का नुकसान हुआ।

उन्होंने सवाल उठाया कि पिछले ढाई वर्षों से बिना पूर्ण बोर्ड और प्रशासनिक निकाय के संस्था का वित्तीय संचालन कैसे हो रहा है। सदस्यों ने चेतावनी दी कि भविष्य में हिमफैड में होने वाली किसी भी वित्तीय अनियमितता के लिए संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।