इस बार मेले में ऊंटों की संख्या दो सौ के पार पहुंच चुकी है, जबकि घोड़ों की आवक नाममात्र की है।
मेला मैदान में ऊंट पालकों ने अपने टैंट और खेळियां सजा ली हैं। मेले की विधिवत शुरुआत 30 अक्टूबर को ध्वजारोहण के साथ होगी। यह आयोजन तीन चरणों पशु मेला, सांस्कृतिक कार्यक्रम और धार्मिक मेला में विभाजित रहेगा और छह नवंबर तक चलेगा। मेला मैदान में दुकानों की साज-सज्जा पूरी हो चुकी है। पशुपालक और शिल्पकार अपने उत्पाद लेकर पहुंच चुके हैं। श्रद्धालुओं और पर्यटकों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने एक से पांच नवंबर तक अजमेर–पुष्कर मार्ग पर वन-वे ट्रैफिक व्यवस्था लागू की है। सुरक्षा के लिए दो हजार से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। पार्किंग स्थलों तक पहुंचने के लिए क्यूआर कोड आधारित प्रणाली भी शुरू की गई है।