मंडी : पांगणा-सुकेत में अन्नकूट और गोवर्धनोत्सव धूमधाम से सम्पन्न

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गांव के विद्वान रमेश शास्त्री ने बताया कि यह उत्सव भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा के स्मरण में मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को भगवान कृष्ण ग्वालबालों के साथ गायें लेकर गोवर्धन पर्वत के निकट गए थे। वहां हजारों गोपियों और लोगों के साथ उत्सव धूमधाम से आयोजित किया गया। अन्नकूट तैयार किए गए, लोग नाच रहे थे और स्तुतियां गा रहे थे। इस दौरान इन्द्रदेव ने अपनी शक्ति दिखाने के लिए मूसलाधार वर्षा कर दी, लेकिन भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी की रक्षा की। बाद में इन्द्रदेव ने अपने कृत्य के लिए क्षमा याचना की।

विद्वानों के अनुसार इस पर्व को मनाने से अन्न-धन, पुत्र-पौत्रादि सन्ततियां प्राप्त होती हैं और परिवार में ऐश्वर्य व सदा सौख्य बना रहता है। यह पर्व गौओं के कल्याण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

पांगणा-सुकेत के सभी घरों में बुधवार को गौपूजा की गई। पूजा कक्ष में गाय के गोबर से निर्मित गोवर्धन पर्वत का स्वरूप बनाया गया और अन्नकूट के साथ भगवान कृष्ण की आराधना की गई। हर घर में बाबरु-भल्ले, हलवा और अन्य पारंपरिक पकवान बनाए गए। इन्हें भक्तों ने चाव से ग्रहण किया और आस-पड़ोस व ध्यानियों में चार बाबरु और एक भल्ले की संख्या में खुशी-खुशी बांटा गया।