चौक से मिनी सचिवालय तक सोमवार को सैकड़ों लोगों ने पैदल मार्च निकालकर एडीजीपी वाई. पूरन कुमार को न्याय दिलाने की मांग उठाई। प्रदर्शन में दलित, पिछड़े
और सर्व समाज के लोग शामिल हुए। हाथों में तख्तियां और बैनर लिए प्रदर्शनकारियों ने
आईजी पूरन कुमार को न्याय दो के नारे लगाए।
मिनी
सचिवालय पहुंचने के बाद प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें
आत्महत्या प्रकरण की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की गई।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे एडवोकेट नकीन मेहरा ने बताया कि आईजी पूरन कुमार ने 7 अक्तूबर
2025 को आत्महत्या की थी। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि उन्हें जातिगत भेदभाव
और मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।
एडवोकेट
मेहरा ने कहा कि डीजीपी शत्रुजीत कपूर और एसपी रोहतक नरेंद्र बिजराणिया ने उन्हें लगातार
अपमानित किया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, जिसके कारण उन्होंने यह कदम उठाया।
उन्होंने दोनों अधिकारियों की गिरफ्तारी और अन्य संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की
मांग की। सर्व समाज के बैनर तले एकत्र लोगों ने कहा कि यह घटना न केवल हरियाणा पुलिस
तंत्र, बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे को झकझोरने वाली है। ज्ञापन में कहा गया कि डॉ.
भीमराव अंबेडकर द्वारा दिए गए संवैधानिक अधिकारों के बावजूद जातिवाद का दंश आज भी जीवित
है। एक ईमानदार अधिकारी को उसकी जाति के कारण अपमान सहना पड़ा, जो सामाजिक न्याय की
आत्मा के लिए कलंक है।