सत्ता से बाहर होने पर सपा को याद आते हैं हमारे संत-महापुरुष और पीडीए : मायावती

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बसपा प्रमुख ने गुरुवार को पार्टी संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में भारी संख्या में पहुंचे कार्यकर्ताओं को सम्बोधित किया। इससे पहले उन्होंने कांशीराम के चरणों में पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।

बसपा प्रमुख ने कहा कि कांशीराम की पुण्यतिथि पर संगोष्ठ का ऐलान करने वाले इन समाजवादियों के दोहरे चरित्र से लोगों को सावधान रहना चाहिए। आज कांशीराम की पुण्यतिथि पर सपा के लोग संगोष्ठी करना चाहते हैं। जब वे सत्ता में रहते है तो न कांशीराम याद आते हैं न बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर। जब इनकी सरकार चली जाती है तो इन्हें पीडीए याद आ जाता है और हमारे संत-गुरुओं की संगोष्ठी करने लग जाते हैं।

मायातवी ने कहा कि सपा ने ना केवल कांशीराम जी के जीते-जी उनके पार्टी के साथ दग़ा करके उनके मूवमेन्ट को यूपी में कमज़ोर करने की लगातार कोशिशें कीं हैं। बल्कि बसपा सरकार में कासगंज को ज़िला मुख्यालय का दर्जा देकर कांशीराम नगर के नाम से बनाये गये नये ज़िला के नाम को भी जातिवादी सोच व राजनीतिक द्वेष के कारण बदल दिया। इसके अलावा, कांशीराम के नाम से अन्य और भी जो कई विश्वविद्यालय, कालेज, अस्पताल व अन्य संस्थायें आदि बनाये गये उनमें से भी अधिकतर का नाम सपा सरकार के आने पर बदल दिए गए। इनकी घोर दलित विरोधी चाल, चरित्र व चेहरा नहीं तो और क्या है?

उन्होंने कहा कि समय-समय पर संकीर्ण राजनीति व वोटों के स्वार्थ की ख़ातिर सपा व कांग्रेस का कांशीराम को स्मरण करना विशुद्व दिखावा व छलावे का प्रयास है। इस प्रकार की गलत जातिवादी व संकीर्ण सोच वाली सपा, कांग्रेस आदि पार्टियों से लोग ज़रूर सजग व सावधान रहें।

मायावती ने मौजूदा भाजपा सरकार का आभार प्रकट करते हुए कहा कि भाजपा ने महापुरूषों के स्मारक के रखरखाव के लिए खर्च किए। रैली स्थल को सरकार ने मरम्मत कराया है। इसके लिए हम यूपी सरकार का आभार प्रकट करते हैं।