पुलिस ने इनके पास से 13 हाई-टेक मोबाइल फोन, 1 लैपटॉप, 9 चेकबुक, 3 रजिस्टर और 8 सिम कार्ड बरामद किए हैं, जिनमें साइबर अपराध से संबंधित आपत्तिजनक जानकारी दर्ज है।
दक्षिण-पश्चिम जिले के पुलिस उपायुक्त अमित गोयल ने आज बताया कि यह गिरोह शेयर बाजार और आईपीओ में निवेश के नाम पर लोगों को ठगता था। ठगी की राशि को कई म्यूल खातों और क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट के जरिए लॉन्ड्रिंग किया जाता था। पुलिस ने इस मामले में 4.25 करोड़ रुपये की ठगी की राशि का पता लगाया है और 15 एनसीआरपी शिकायतों को इस गिरोह से जोड़ा है।
उपायुक्त ने बताया कि पुलिस को शिकायतकर्ता आर. चौधरी ने बताया कि उन्हें एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया, जहां उन्हें शेयरों में निवेश के लिए उच्च रिटर्न का लालच दिया गया। शुरू में छोटे मुनाफे देकर उनका भरोसा जीता गया। बाद में उन्हें बड़े निवेश के लिए प्रेरित किया गया और फर्जी प्रविष्टियां दिखाई गईं। जब उन्होंने निवेश वापस लेने की कोशिश की, तो निकासी रोक दी गई और उनके साथ 10.7 लाख रुपये की ठगी की गई। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की।
जांच टीम ने तकनीकी निगरानी, धन के लेन-देन और डिजिटल फुटप्रिंट का विश्लेषण किया। फर्जी सिम और म्यूल खातों के बावजूद, पुलिस ने
पहले आरोपित विक्रम को नरवाना, जींद, हरियाणा से गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ में मुकुल का नाम सामने आया, जिसे जीरकपुर, पंजाब से गिरफ्तार किया गया। मुकुल ने बैंक खाता किट अक्षय को सौंपने की बात कबूली, जिसे ऊना, हिमाचल प्रदेश से पकड़ा गया। आगे की जांच में हरि किशन सिंह को अमृतसर, पंजाब से 7 मोबाइल फोन, 1 लैपटॉप और 9 चेकबुक के साथ गिरफ्तार किया गया। अंत में, मुख्य सरगना मंगू सिंह को सीकर, राजस्थान से पकड़ा गया, जो टेलीग्राम ग्रुप के जरिए म्यूल खाते व्यवस्थित करता था और क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से धन लॉन्ड्रिंग करता था।मुख्य सरगना मंगू और उसके सहयोगी कुलदीप ने टेलीग्राम के जरिए कंबोडिया में बैठे ठगों से संपर्क स्थापित किया था। उन्होंने “एटीपे” नामक टेलीग्राम ग्रुप बनाया, जहां म्यूल खातों की मांग साझा की जाती थी।
विक्रम, मुकुल और अक्षय ने विभिन्न राज्यों में बैंक खाते खोलने या क्रेडेंशियल्स उपलब्ध कराने का काम किया। ये खाते हरि किशन सिंह और मंगू को सौंपे जाते थे, जो विदेशी ठगों के साथ समन्वय करते थे। ठगी की राशि को म्यूल खातों में स्थानांतरित कर, कई खातों के जरिए लेयरिंग की जाती थी और अंत में क्रिप्टोकरेंसी (यूएसडीटी) में बदलकर कंबोडिया के ठगों के वॉलेट में भेज दी जाती थी।
यह गिरोह कमीशन के रूप में ठगी की रकम का लगभग 5 प्रतिशत राशि अपने पास रख लेता था।
पुलिस ने बताया कि मामले की जांच अभी जारी है और अन्य संलिप्त लोगों की तलाश की जा रही है।