‘ग्लोबल मैमल बिग डे’ पर आयोजित होगा विशेष ईको रन, स्तनधारी जीवों के संरक्षण का संदेश

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लखनऊ, 4 अक्टूबर । दुनिया भर में प्रतिवर्ष 5 अक्टूबर को मनाए जाने वाले ‘ग्लोबल मैमल बिग डे’ के अवसर पर ओखला बर्ड सैंक्चुअरी में विशेष ईको रन का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म और ग्लोबल वाइल्डलाइफ फेयर के सहयोग से किया जा रहा है। इस ईको रन का उद्देश्य सिर्फ दौड़ना नहीं, बल्कि प्रकृति और स्तनधारी जीवों के संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। यह जानकारी उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि ‘इको रन में सभी आयु वर्ग के लोग हिस्सा ले सकते हैं। ओखला बर्ड सैंक्चुअरी (दिल्ली-एनसीआर) की प्राकृतिक सुंदरता के बीच एक विशेष दौड़ में सम्मिलित होना धावकों को अविस्मरणीय अनुभव देगा। यह दौड़ ग्लोबल मैमल बिग डे का हिस्सा है, जो प्रत्येक वर्ष छोटे से छोटे चमगादड़ से लेकर विशाल हाथियों तक सभी स्तनधारी जीवों की विविधता, महत्व और संरक्षण को सम्मानित करता है।’

ईको रन कार्यक्रम

ओखला बर्ड सैंक्चुअरी में ईको रन की शुरुआत 5 अक्टूबर (रविवार) की सुबह 7:00 बजे, गेट नंबर 2 से शुरू होगी। इस दौड़ में संरक्षणवादियों, शिक्षाविदों, पर्यटन क्षेत्र के प्रतिनिधियों, फिटनेस उत्साही लोगों एवं सामान्य जनमानस की भागीदारी रहेगी। हर कदम के साथ प्रतिभागी न केवल जीवन के हर रूप का उत्सव मनाएंगे, बल्कि स्तनधारी जीवों के संरक्षण और उन्हें सुरक्षित रखने की साझा जिम्मेदारी के प्रति जागरूकता फैलाने में भी सक्रिय योगदान देंगे।

‘फिटनेस, जागरूकता और संरक्षण का मंच’

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि ‘स्तनधारी जीव हमारे पर्यावरण और स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इनमें से कई संकट का सामना कर रहे हैं, जिनके संरक्षण की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है। इसी उद्देश्य के साथ यूपी ईको टूरिज्म और ग्लोबल वाइल्डलाइफ फेयर के सहयोग से ईको रन का आयोजन किया जा रहा है। यह विशेष कार्यक्रम लोगों को फिटनेस, जागरूकता और संरक्षण के लिए एक मंच प्रदान करता है।’

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की भागीदारी से यह पहल स्तनधारी जीवों के संरक्षण और स्थानीय समुदाय की भागीदारी के बीच सेतु बनाती है। ईको रन प्रतिभागियों को न केवल दौड़ने का अवसर प्रदान करेगा, बल्कि वे प्रकृति और जैव विविधता की सुरक्षा के संदेश को भी आगे बढ़ाएंगे।