जब संस्कृत बाहर निकलती है तो हिंदी उसका सहज सहारा बनती है : कोसलेंद्रदास

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विशिष्ट अतिथि भारतीय सूचना सेवा से सेवानिवृत्त अनुपमा चंद्रा ने कहा कि सभी को अपनी कार्यशैली में हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। कहानियां समाज का आईना होती हैं और जब वे हिंदी में कही जाती हैं तो उनमें मातृभूमि की मिट्टी की सुगंध, लोक जीवन की सरलता और जनमानस की भावनाएं जीवंत हो उठती हैं।

पत्र सूचना कार्यालय की अपर महानिदेशक ऋतु शुक्ला ने कहा कि हिंदी भारतीय संस्कृति, परंपरा और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। डिजिटल युग में सोशल मीडिया, फिल्म और पत्रकारिता के माध्यम से हिंदी का वैश्विक प्रभाव और सशक्त हुआ है। उन्होंने कहा कि हिंदी का प्रचार-प्रसार केवल सरकारी प्रयासों पर निर्भर नहीं रह सकता, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह हिंदी को गर्व और गौरव के साथ अपनाए। पत्र सूचना कार्यालय के निदेशक अनुभव बैरवा ने भी दैनिक जीवन में हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने पर बल दिया।