मैं बैरी, सुग्रीव पियारा, कारण कवथ नाथ मोहे मारा

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पारस हनुमान की भूमिका निभा रहे हैं। रामलीला मंचन के आठवें दिन रामलीला की शुरुवात मां काली की वंदना मां माता कालिका से हुई। भाव नृत्य में अदिति, खुशी ,कशिश ने शानदार प्रस्तुति दी। रामलीला में हनुमान राम संवाद, राम सुग्रीव मित्रता, बाली सुग्रीव युद्ध, बाली मरण, तारा विलाप, अंगद का राजतिलक, राम लक्ष्मण संवाद, सुग्रीव लक्ष्मण संवाद, राम का हनुमान को अंगूठी देना और हनुमान जी का सीता की खोज में जाना तक का मंचन किया गया।

बाली सुग्रीव के लिए पार्श्व गायन आशुतोष नैथानी और इंद्रमोहन चमोली जबकि तारा के लिए पार्श्व गायन सोनिका गैरोला ने किया। मुख्य अतिथि जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने रामलीला के आयोजन को महतवपूर्ण बताते हुए कहा कि नागरिकों द्वारा एकजुट होकर आयोजन करना और उसे आम जनमानस के बीच रोचक बनाना कबीलेतारिफ है। विशिष्ठ अतिथि के रूप में इतिहासकार डा योगेश धस्माना ने रामलीला के आयोजन के लिए आयोजन समिति की सराहना की।

उन्होंने कहा कि उनके पास पौड़ी रामलीला से संबंधित जो भी दस्तावेज हैं उसे वे रामलीला के संग्रहालय हेतु देंगे। उन्होंने अपने स्व पिताश्री दयासागर धस्माना जो पौड़ी रामलीला में साठ के दशक में रावण के यादगार किरदार थे उनकी स्मृति में रामलीला समिति को एक लाख रुपए की धनराशि प्रदान की।

रामलीला समिति के अध्यक्ष उमाचरण बड़थ्वाल ने कहा कि इस धनराशि का उपयोग रामलीला संग्रहालय के निर्माण में खर्च किया जाएगा। इस अवसर पर सचिव राम सिंह रावत, आशुतोष नेगी, विक्रम गुसाईं, राजेंद्र लिंगवाल, नवीन मियां, ललित चिटकारिया आदि मौजूद थे।