चंडीगढ़, 29 सितंबर । कैबिनेट मंत्री और आम आदमी पार्टी पंजाब के प्रधान अमन अरोड़ा ने आज पिछली कांग्रेस और अकाली-भाजपा सरकारों के साथ-साथ भाजपा की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को बाढ़ आपदा के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया।
पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान साेमवार काे विपक्षी दल की बयानबाजी पर अरोड़ा ने कांग्रेस सरकार द्वारा 2017 में ब्यास नदी के 260 किलोमीटर लंबे हिस्से को “रामसर साइट” घोषित करने के फैसले की ओर ध्यान दिलाते हुए इसे संकीर्ण राजनीति का प्रत्यक्ष उदाहरण बताया। उन्होंने इसे बिना सोच-विचार और बिना किसी वैज्ञानिक दृष्टिकोण के लिया गया राजनीतिक फैसला करार दिया, जिसने नदी को साफ करने की प्रक्रिया को कानूनी रूप से जटिल बना दिया और बाढ़ को कम करने के प्रयासों में बड़ी बाधा उत्पन्न की, जिससे चार-पाँच जिलों में बाढ़ का सीधा प्रभाव पड़ा। उन्होंने उस समय कैबिनेट का हिस्सा रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को चुनौती देते हुए इस फैसले का जवाब देने के लिए कहा, जो राज्य के उन लोगों के लिए इतना विनाशकारी साबित हुआ, जिनकी सेवा करने के लिए वे वचनबद्ध थे।
अमन अरोड़ा ने भाखड़ा डैम को टाइम बम बताते हुए कहा कि डैम में जमा हो रही गाद ने गोबिंद सागर जल भंडार की क्षमता को 25 प्रतिशत तक घटा दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और अकाली-भाजपा गठजोड़ की सरकारों के दशकों से चले शासन दौरान इस अपराधिक लापरवाही ने पंजाब के निचले इलाकों को पूरी तरह तबाह कर दिया है। साल 2023 के सर्वेक्षण रिपोर्ट का हवाला देते हुए अरोड़ा ने इस बात पर जोर दिया कि पंजाब की अहम रख हरिके झील की पानी भंडारण क्षमता 56 प्रतिशत घट गई है। उन्होंने हरिके झील के प्रबंधन की बड़ी लापरवाही के बारे में भी बताया, जिसमें राजस्थान सरकार, जो मुख्य रूप से हरिके बैराज के पानी का लाभ ले रही है, को कई पत्र लिखे जाने के बावजूद उसने डी-सिल्टिंग की लागत में योगदान देने से साफ इंकार कर दिया।
अरोड़ा ने बताया कि नॉर्दर्न कैनाल एंड ड्रेनेज एक्ट, 1878, जो गैर-कानूनी कब्ज़े रोकने के लिए सरकार को नदियों को नोटिफाई करने का अधिकार देता है, के बावजूद कांग्रेस और अकाली-भाजपा के कार्यकाल में 170 साल से अधिक समय तक पंजाब में एक भी नदी, नाला या चैनल को नोटिफाई नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि यह बड़ी लापरवाही नदियों के प्रवाह के रास्ते पर कब्जे का कारण बनी, जो अब बाढ़ के दौरान घरों और संपत्ति की व्यापक तबाही का मुख्य कारण बनी। इसके उलट उन्होंने इस एक्ट के तहत मान सरकार द्वारा भविष्य की संकट को रोकने के लिए 850 से अधिक जल स्रोतों को नोटिफाई करने के साहसी कदम की प्रशंसा की।
अरोड़ा ने स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड (एस.डी.आर.एफ.) का वित्तीय विवरण पेश करते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने पिछले 25 वर्षों में पंजाब को 6190 करोड़ रुपए के फंड दिए। इसमें से 4608 करोड़ रुपए पिछली कांग्रेस और अकाली दल-भाजपा सरकारों के दौरान अलॉट किए गए थे, जबकि 1582 करोड़ रुपए वर्तमान सरकार के कार्यकाल में दिए गए हैं। पंजाब सरकार ने 2042 करोड़ रुपए का योगदान दिया है और कुल 4305 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब द्वारा भरे गए 7623 करोड़ रुपए के नोशनल ब्याज की गणना करते हुए केंद्र सरकार ने यह आंकड़ा 12,600 करोड़ रुपए तक दर्शाया।
कांग्रेस सरकार के दौरान ऐसी वित्तीय स्थिति पर चाणक्य दृष्टि डालते हुए उन्होंने कहा कि 2017 में कांग्रेस सरकार के सत्ता संभालने समय 31-03-2017 की कैग रिपोर्ट अनुसार एस.डी.आर.एफ. खाते में 4740.42 करोड़ रुपए थे, पर फिर भी आर.बी.आई. ने 760 करोड़ रुपए की अदायगी न करने और 14 दिनों के ओवरड्राफ्ट कारण पंजाब सरकार को दिवालिया घोषित कर दिया था। उन्होंने सदन को याद दिलाया कि यह पिछली कांग्रेस सरकार, जिसे आर.बी.आई. द्वारा वित्तीय तौर पर दिवालिया घोषित किया गया था, जिससे “रंगला पंजाब” एक “कंगला पंजाब” में बदल गया था।