याचिका में कहा गया कि पूर्व में स्थानीय सरपंच ने जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया दूसरी भूमि उपलब्ध कराए बिना जेडीए ने गोचर भूमि को अवाप्त कर लिया। याचिका का निस्तारण करते हुए हाईकोर्ट ने विभाग को याचिकाकर्ता का अभ्यावेदन तय करने को कहा था, लेकिन प्रमुख राजस्व सचिव ने अभ्यावेदन खारिज कर दिया। याचिका में कहा गया कि वे स्थानीय ग्रामीण है। जेडीए ने भूमि अधिग्रहित करते समय चारागाह के लिए दूसरी समान भूमि नहीं दी और धारा 54 के आधार पर अभ्यावेदन को खारिज किया गया। ऐसे में अधिग्रहण को खारिज किया जाए। इसका विरोध करते हुए जेडीए की ओर से अधिवक्ता अमित कुड़ी ने कहा कि जेडीए एक्ट की धारा 2(8) के तहत जयपुर रीजन में आने वाली भूमि शहरी भूमि की श्रेणी में आती है और धारा 54 के तहत सार्वजनिक प्रयोजन के लिए इस भूमि का उपयोग करने के लिए जेडीए स्वतंत्र है। इसके अलावा भूमि अवाप्त कर रीको को दी गई और बाद में इसे महिंद्रा वर्ल्ड सिटी को आवंटित की गई। वर्तमान में यहां कई शैक्षणिक संस्थान और उद्योग आदि चल रहे हैं। वहीं इसी बिंदु पर पूर्व में जनहित याचिका पेश हो चुकी है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया है।