वाराणसी,27 जुलाई । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के ट्रॉमा सेंटर में प्रभारी डॉ सौरभ सिंह पर छेड़खानी और धमकी का आरोप पुलिस की जांच में निराधार निकला है। प्रो. सिंह के उपर विश्वविद्यालय के ही एक महिला प्रोफेसर ने यह गंभीर आरोप लगाया था। इसको लेकर सोशल मीडिया में लोग सरकार और बीएचयू प्रशासन को कठघरे में खड़ा करने लगे थे । लेकिन पुलिस की जांच में आरोप पूरी तरह झूठे निकले। खुद डीसीपी काशी जोन ने इसकी पुष्टि की।
डीसीपी काशी ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स हैंडल पर पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा है कि घटना पूर्णत: असत्य है,महिला के पति के उपर ट्रामा सेंटर के कर्मचारियों द्वारा एससी एसटी व अन्य धाराओं में अभियोग पंजीकृत कराया गया था,जिसकी पेशबंदी में महिला द्वारा ट्रामा सेंटर प्रभारी पर छेड़खानी का आरोप लगवाया गया,दौरान विवेचना छेड़खानी का आरोप असत्य पाया गया।
बताते चले बीएचयू के ट्रामा सेंटर में सर्जरी विभाग के प्रोफेसर शशि प्रकाश मिश्रा और ट्रामा सेंटर में कैंटीन के कर्मचारियों के बीच हुए विवाद में एनेस्थीसिया विभाग की महिला प्रोफेसर ने प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह पर आरोप लगाया था। महिला प्रोफेसर ने महिला आयोग में भी शिकायत की थी। मामले के तूल पकड़ते ही ट्रामा सेंटर प्रभारी प्रोफेसर सौरभ सिंह समेत तीन लोगों पर छेड़खानी का मुकदमा लंका थाने में दर्ज हुआ। लगभग दाे महीने तक चली जांच मे छेड़खानी का आरोप निराधार निकला। अब प्रो.सौरभ सिंह के समर्थकों का कहना है कि बिना तथ्यों की जांच के सोशल मीडिया पर फैलाई गई बातें समाज में भ्रम और अविश्वास पैदा करती हैं। खासकर जब बात महिला सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे की हो, तो जल्दबाजी में निष्कर्ष निकालना घातक हो सकता है। वाराणसी पुलिस ने लोगों से संयम बरतने और अफवाहों से दूर रहने की अपील की है। साथ ही, झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। पुलिस का कहना है कि ऐसे कृत्य न केवल कानून की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं, बल्कि वास्तविक पीड़ितों के लिए न्याय की राह को भी कठिन बनाते हैं। खास यह है कि कांग्रेस ने भी अपने एक्स हैंडल पर इस मामले को लेकर पोस्ट किया था। 26 जुलाई को सोशल मीडिया के माध्यम से महिला सुरक्षा को लेकर सवाल किया था। इसके जवाब में डीसीपी काशी जोन गौरव वंशवाल ने पुलिस के जांच की जानकारी दी थी।