उन्होंने बुधवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि आजसू सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के घटना स्थल पर पहुंचने और फिर बाघमारा थाना में धरना पर बैठ जाने पर दुर्घटना के 24 घंटे बाद बचाव कार्य शुरू हो पाया, नहीं तो पुलिस–प्रशासन मामले को दबाने की फिराक में था। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
प्रभाकर ने कहा कि पुलिस–प्रशासन कोयला माफियाओं के दबाव में चाल धंसने की घटना से ही इंकार करता रहा। लेकिन आजसू सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी बाघमारा थाना में जाकर यह कहते हुए बैठ गए कि जब तक रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू नहीं होगा तब तक वे थाना से नहीं उठेंगे। तब जाकर दुर्घटना के 24 घंटे बाद राहत कार्य शुरू हुआ।
प्रभाकर ने कहा कि सांसद जब घटनास्थल का निरीक्षण करने पहुंचे तो प्रशासन की उपस्थिति में कोयला माफिया के गुर्गे उनकी भी घेराबंदी और विरोध का प्रयास करने का प्रयास करने लगे। लेकिन उसे आजसू कार्यकर्ताओं ने विफल कर दिया।
उन्होंने कहा कि राज्य में पुलिस–प्रशासन के संरक्षण में रात के अंधेरे में अवैध कोयला खनन का कारोबार चरम पर है और अवैध खनन में लगातार लोगों की जान जा रही है। हादसों के बाद शवों को छिपाने का अमानवीय कृत्य किया जाता है, लेकिन राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। अवैध कोयला कारोबार की कीमत आम लोग चुका रहे हैं।