मात्र 20 रुपये में गरीबाें का इलाज करने वाले पद्मश्री डॉ. एमसी डाबर का निधन

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मात्र 20 रुपये में गरीबाें का इलाज करने वाले पद्मश्री डॉ. एमसी डाबर का निधन

जबलपुर, 04 जुलाई (हि.स.)। मध्य प्रदेश के जबलपुर में गरीब मरीजों का महज 20 रुपये में इलाज करने वाले चिकित्सक पद्मश्री डॉ. एमसी डाबर का निधन हो गया। जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने शुक्रवार सुबह सोशल मीडिया एक्स के माध्यम से इसकी जानकारी साझा की। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया कि जबलपुर के ख्यातिलब्ध चिकित्सक, पद्मश्री डॉ मुनीश्वर चंद्र डाबर का आज सुबह 9.30 बजे देवलोकगमन हो गया है। वह लम्बे समय से अस्वस्थ चल रहे थे और उनका निज निवास पर ही उपचार चल रहा था, जहां सुबह करीब 4 बजे उन्हें 80 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। अपने जीवन का का बड़ा हिस्सा गरीब और जरूरतमंद लोगों की नि:स्वार्थ सेवा में लगाने वाले डॉ. एमसी डाबर को उनके उत्कृष्ट चिकित्सकीय योगदान के कारण भारत सरकार ने 2023 में पद्मश्री से सम्मानित किया था।

उनके निधन से चिकित्सा जगत में शोक की लहर है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव यादव ने भी उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया है कि पद्मश्री डॉ. एमसी डाबर के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। यह जबलपुर ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें। विगत दिनों आपसे हुई भेंट में मुझे जनसेवा के प्रति आपके समर्पण से प्रेरणा मिली थी। आपके देवलोकगमन से मानव सेवा और लोक कल्याण के क्षेत्र में गहरी रिक्तता आई है। मुख्यमंत्री ने उनसे मुलाकात की फोटो भी एक्स पर साझा की है।

डॉ. डाबर के निधन की खबर मिलने के बाद उनके अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग उनके निवास पर पहुंचने लगे थे। इस दौरान शहर के कई लोग भावुक नजर आए, जिनमें कई ऐसे भी थे जिनका इलाज उन्होंने कभी मुफ्त में किया था। हर किसी की आंखें नम थीं। हर कोई यही कह रहा था कि डॉ. डाबर जैसा डॉक्टर इस युग में मिलना मुश्किल है। सुबह उनके निवास से उनकी अंतिम यात्रा निकली, जिसमें समाज के हर वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया।

डॉ. डाबर का जन्म 16 जनवरी, 1946 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत में आकर बस गया। मात्र डेढ़ साल की आयु में उनके पिता का निधन हो गया था। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई जालंधर से की थी। उन्होंने 1967 मध्य प्रदेश के जबलपुर से एमबीबीएस की डिग्री ली थी। डाबर भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर थे। हालांकि, खराब सेहत को देखते हुए उन्होंने सेना से इस्तीफा दे दिया था। 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी थी। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी लोकसभा चुनाव के दौरान जबलपुर में रोड शो करने के बाद डॉ. एमसी डाबर से मुलाकात की थी।

डॉ. डाबर ने 1972 में चिकित्सा के क्षेत्र में कदम रखा था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत महज 2 रुपये फीस से की थी, जो समय के साथ बढ़कर 20 रुपये तक ही पहुंची, जबकि उनके समकक्ष डॉक्टरों की फीस हजारों में होती रही। उन्होंने अपने उस सिद्धांत से कभी समझौता नहीं किया कि इलाज आम आदमी की पहुंच में होना चाहिए। उनकी इस सेवा भावना और समर्पण के चलते उन्हें साल 2023 में भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से नवाजा। यह सम्मान न केवल उनके पेशेवर योगदान का, बल्कि उनके मानवीय दृष्टिकोण और सेवा भावना का भी प्रतीक था। वे एक डॉक्टर नहीं, बल्कि हजारों-लाखों गरीब परिवारों के लिए ‘उम्मीद की आखिरी किरण’ थे।

डॉ. डाबर जबलपुर के गोरखपुर क्षेत्र में भी क्लिनिक चलाते थे, जहां दूर-दराज से मरीज इलाज के लिए आते थे। भीड़ इतनी होती थी कि रोजाना सैकड़ों मरीज उनके घर के बाहर लाइन लगाकर खड़े रहते थे। वे खुद ही मरीजों की जांच करते, दवा लिखते और जरूरत पड़ने पर आर्थिक मदद भी करते थे। वह हमेशा मरीजों के प्रति अपनी निष्ठा और संवेदनशीलता दिखाते थे।———————-