अंजन कुमार का नाम एकल सेवारत महंत के तौर पर अंकित करने पर यथास्थिति के आदेश

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अंजन कुमार का नाम एकल सेवारत महंत के तौर पर अंकित करने पर यथास्थिति के आदेश

जयपुर, 30 मई(हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने अतिरिक्त जिला न्यायालय क्रम-4 महानगर द्वितीय के उस आदेश पर यथास्थिति के आदेश दिए हैं, जिसके तहत अदालत ने गोविंद देवजी मंदिर के एकल सेवारत महंत के रूप में मृतक प्रद्युम्न कुमार गोस्वामी के स्थान पर गोस्वामी अंजन कुमार का नाम अंकित करने को कहा है। जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश अंजन कुमार के भाई ओथेश कुमार की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।

याचिका में अधिवक्ता सुखदेव सिंह सोलंकी ने अदालत को बताया कि निचली अदालत ने लोक न्यास अधिनियम के प्रावधानों के तहत ज्येष्ठाधिकार के उत्तराधिकार का तरीका होने होने के आधार पर अंजन कुमार का नाम एकल सेवायत महंत के रूप में उनके स्वर्गवासी पिता के स्थान पर अंकित करने को कहा था। अंजन कुमार ने निचली अदालत में यह प्रार्थना पत्र लोक न्यास अधिनियम की धारा 41 व 43 के तहत पेश किया था। जबकि इन धाराओं में कार्यवाहक प्रन्यासी नियुक्त करने का प्रावधान है ना की एकल सेवायत महंत। इसके अलावा याचिकाकर्ता के पिता प्रद्युम्न कुमार गोस्वामी ज्येष्ठाधिकार के आधार पर एकल सेवायत महंत बने थे। वहीं बाद में उत्तराधिकार अधिनियम लागू हो गया था। ऐसे में ज्येष्ठाधिकार परम्परा समाप्त हो गई और उत्तराधिकार अधिनियम के तहत प्रद्युम्न कुमार के तीनों उत्तराधिकारी समान रूप से सेवायत महंत के हकदार को गए। याचिका में यह भी कहा गया कि प्रद्युम्न कुमार ने 22 जून, 1997 को अपनी वसीयत की थी। जिसमें उन्होंने अंजन कुमार, ओथेश कुमार और अनुज कुमार को महंत सेवायत का उपयोग व उपभोग करने का अधिकारी माना था। ऐसे में निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाई जाए। वहीं अंजन कुमार की ओर से अधिवक्ता सुरुचि कासलीवाल ने याचिका में प्रारंभिक आपत्ति लगाते हुए कहा कि निचली अदालत के आदेश के खिलाफ प्रथम अपील पेश होती है, जबकि याचिकाकर्ता ने सिविल अपील पेश की है। ऐसे में याचिका को इस आधार पर ही खारिज कर देना चाहिए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने निचली अदालत के आदेश पर यथास्थिति के आदेश दिए हैं।

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