बिना इंटिमेसी कोच के किया बोल्ड सीन, फर्श से अर्श तक पहुंचीं अदिति पोहनकर!

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अभिनेत्री अदिति पोहनकर, जो ‘आश्रम’ में पम्मी, ‘शी’ में अपनी भूमिका और ‘लय भारी’ में नंदिनी के किरदारों के लिए प्रसिद्ध हैं, का सफर काफी प्रेरणादायक रहा है। पहले एथलीट रहीं अदिति ने अभिनय की दुनिया में खुद को साबित किया है। उनके माता-पिता, जो स्वयं एथलीट थे, के सपनों को पूरा करने के लिए अदिति ने अभिनय की राह चुनी। उनकी मां इंटलेक्चुअल थीं और हमेशा चाहती थीं कि अदिति उनकी तस्वीर होर्डिंग पर देखे। अदिति के लिए यह एक महत्वपूर्ण प्रेरणा थी, जो उन्हें अपने करियर की ओर अग्रसरित करने में सहायक बनी।

अदिति का करियर संघर्षों से भरा रहा है। एक समय ऐसा भी आया जब वह आर्थिक तंगी का सामना कर रही थीं, जब उन्हें अस्पताल का बिल भरने के लिए पैसे नहीं थे। उन्होंने अपनी मां के इस सपने को पूरा करने के लिए मेहनत की, जो उनके लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत बनी रहीं। अदिति ने अपने पेरेंट्स के पदचिह्नों पर चलते हुए एथलेटिक्स में भी सफलता हासिल की, लेकिन मां के निधन के बाद उन्होंने खेल से दूरी बना ली। इस कठिन समय में अदिति ने अपने कोच की बेटी की मृत्यु से दुखी होकर खेल से ब्रेक लिया।

अदिति की पहली फिल्म ‘लय भारी’ उन्हें व्यावसायिक सफलता दिलाने में महत्वपूर्ण साबित हुई। इस फिल्म के बाद उन्हें एक तमिल फिल्म का ऑफर मिला, लेकिन उस समय अदिति को डेंगू हो गया था और वह आर्थिक तंगी से जूझ रही थीं। इस परिस्थिति में उन्हें पैसे की जरूरत थी और उन्होंने अपनी पहली फिल्म के अनुभव से सीखा। अदिति ने कहा कि उन्होंने पैसे के लिए उस तमिल फिल्म को स्वीकार किया, जिससे वह अपने परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम हुईं।

अदिति के करियर की एक अति महत्वपूर्ण घटना तब हुई जब उन्होंने इम्तियाज अली के साथ काम करने का मौका पाया। उन्होंने अपनी सम्पूर्ण मेहनत लगाकर एक शो रील बनाई, जो उन्होंने इम्तियाज अली को दिखाई। हालांकि उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन अंत में उन्होंने सफलता हासिल की, जिससे उन्हें कई देशों में प्रसिद्धि मिली। अदिति ने कहा कि उन्होंने अपने किरदार को निभाने के लिए गहरे शोध किए और उन मुश्किल समय में भी मेहनत की, जब उनके पिता का देहांत हुआ।

अदिति की कहानी सिर्फ संघर्ष और मेहनत की नहीं है, बल्कि यह मानसिक ताकत और आत्मविश्वास का प्रतीक भी है। उन्होंने साबित किया कि अगर व्यक्ति सही दिशा में मेहनत करे तो किसी भी ऊंचाई को प्राप्त किया जा सकता है। अदिति का यह यात्रा हमें यह सिखाती है कि सपनों की ओर बढ़ने का रास्ता कभी भी आसान नहीं होता, लेकिन पूरी मेहनत और दृढ़ता से सभी बाधाओं को पार किया जा सकता है। उनका यह सफर आज कई युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।