पंजाब के लुधियाना में हाल ही में गुमशुदगी के पोस्टर लगाने वाले भाजपा युवा मोर्चा के प्रवक्ता कपिल कत्याल से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग खुद मिलने पहुंचे। यह मुलाकात तब हुई जब वड़िंग ने कपिल को फोन करके अपनी उपस्थिति की जानकारी दी और सही समय पर उनके घर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कपिल की सकारात्मकता की सराहना की और कहा कि उनके भाई ने उन्हें खोजने की कोशिश की और वह खुद मिलने निकल आए।
मुलाकात में वड़िंग ने कपिल से कहा कि जब उन्होंने फोन किया तो कपिल ने तुरंत बताया कि उनका नाम चर्चा में है। यह यह दर्शाता है कि कपिल का फोन नंबर सबके पास है और वे आसानी से संपर्क में हैं। राजा वड़िंग ने बात करते हुए कपिल से उनकी गुमशुदगी के कारणों के बारे में जानकारी ली। कपिल ने स्पष्ट किया कि कुछ लोगों ने उनके संपर्क किया था और कहा कि सांसद साहब उनसे मिलते नहीं हैं, इसलिए वे उनसे मिलना चाहते थे। इस पर वड़िंग ने बताया कि वह चाहते हैं कि सभी मुद्दे हल हों और जरूरतमंद लोग उनसे सीधे संपर्क करें।
इस बातचीत के दौरान, अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कपिल कत्याल पर तंज कसते हुए कहा कि अगर वे भाजपा के प्रवक्ता हैं तो लोग उन्हें कैसे ढूंढ पा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह खुद उन्हें खोजने में जुटे हुए थे और दो घंटे के भीतर उनके पास पहुंचने का वादा किया। इस मुलाकात के संदर्भ में वड़िंग का निशाना उन आरोपों पर भी था, जो भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन पर लगाए थे।
कपिल कत्याल ने बताया कि उन्होंने हाल ही में लुधियाना में राजा वड़िंग के खिलाफ गुमशुदगी के पोस्टर लगाए थे। इसमें यह बताया गया था कि वड़िंग ने अपनी करोड़ों की गाड़ी में हूटर बजाकर लोगों का ध्यान नहीं रखा। लुधियाना की जनता ने ऐसे सांसद को नहीं चुना था जो उनके मुद्दों को भूल जाए। कपिल ने सवाल उठाया कि अभी मात्र 10 महीने हुए हैं जब लोगों ने राजा वड़िंग को चुनाव जीताया, लेकिन अब वे लोग उनकी उपलब्धियों और उनके संपर्क के बारे में अवगत नहीं हैं।
यह सबकुछ दर्शाता है कि राजनीति में संबंधों और संपर्कों की कितनी अहमियत होती है। जब नेता अपने क्षेत्र के लोगों से दूर हो जाते हैं, तो जनता यथार्थ में उनकी उपलब्धियों का मूल्यांकन करती है। मतदाता हमेशा यही चाहते हैं कि उनके प्रतिनिधि उनके बीच रहें और उनकी समस्याओं का निवारण करें। कपिल और वड़िंग के बीच हुई यह बातचीत न केवल राजनीतिक संवाद को दर्शाती है, बल्कि यह दिखाती है कि लोकतंत्र में मतदाता की आवाज का कितना महत्व होता है।