रणथंभौर टाइगर रिजर्व का धमाका: सबसे घनी बाघ आबादी का नया रिकॉर्ड!

Share

रणथंभौर टाइगर रिजर्व, जो कि भारत में टाइगर संरक्षण का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है, ने एक नई उपलब्धि हासिल की है। हाल ही में यह जानकारी सामने आई है कि रणथंभौर टाइगर रिजर्व देश में बाघों की सबसे घनी आबादी वाला टाइगर रिजर्व बन गया है। इस रिजर्व में बाघों के शावकों की संख्या भी उल्लेखनीय है, जिसमें करीब 27.27% आबादी शावकों की है। बाघों को बचाने के लिए इस रिजर्व के प्राकृतिक आवास के संरक्षण के प्रयास भी चलते रहे हैं।

रणथंभौर टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 939.14 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से लगभग 600 वर्ग किलोमीटर को कोर एरिया माना जाता है। बाघों की खाद्य श्रृंखला को बनाए रखने और प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए इस कोर क्षेत्र का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान में रणथंभौर में 23 वयस्क बाघ और 25 बाघिन के साथ-साथ 18 शावक मौजूद हैं। इस प्रकार, कुल मिलाकर बाघों की संख्या 66 तक पहुंच गई है। एक बाघ के हिस्से में औसतन 14.25 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र आता है, जो इस तथ्य की पुष्टि करता है कि यह रिजर्व बाघों की घनी आबादी को समाहित करने में सक्षम है।

वन्यजीव विशेषज्ञ मुकेश शीत का मानना है कि शावकों का जन्म होना एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन साथ ही यह चिंता का विषय भी है कि इन शावकों के लिए आवश्यक क्षेत्रफल कम पड़ सकता है। बाघ के शावक अपनी मां के साथ लगभग दो साल तक रहते हैं, उसके बाद उन्हें अपनी खुद की टेरिटरी की तलाश में निकट विवर्तन करना पड़ता है। इस दौरान, नए बाघों से टकराव होना लाजिमी है, खासकर उस समय जब वे अपनी नई टेरिटरी की खोज में निकलते हैं।

रणथंभौर टाइगर रिजर्व के डीएफओ रामानंद भाकर ने बताया कि विभाग इस बात को लेकर गंभीर है कि बाघों के लिए आवश्यक हैबिटाट का विस्तार किया जाए। रिजर्व के क्वांलजी वन क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है ताकि बाघों के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध आवास बनाया जा सके। इसके अलावा, रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य से बाघ कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है, जिससे नए बाघों का प्रवास इस क्षेत्र में सुनिश्चित किया जा सके।

सामान्यत: बाघ का क्षेत्रफल लगभग 25 से 30 वर्ग किलोमीटर होता है। यदि रणथंभौर जैसे घने रिजर्व में शावकों की संख्या बढ़ती है, तो बाघों के लिए टेरिटोरी की कमी एक गंभीर मुद्दा उत्पन्न कर सकती है। इस प्रकार, वन्यजीवों के संरक्षण और उनके आवास को सुरक्षित रखने के लिए इस क्षेत्र में योजना बनाई जा रही है, ताकि बाघों की संख्या और उनके जीवित रहने की संभावनाओं को और भी बढ़ाया जा सके।