नवमीं के छात्र ने पढ़ाई में कमजोरी के चलते ट्रेन के आगे कूदकर खुदकुशी की!

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हाल ही में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जिसमें 9वीं कक्षा का एक छात्र, रुपेश कुमार, ने जनशताब्दी ट्रेन के आगे लेटकर आत्महत्या कर ली। इस हादसे में छात्र का शव पूरी तरह से बिखर गया और पुलिस को उसके शव के तीन हिस्से मिले। घटना का पता तब चला जब थाना जीआरपी को रेलवे से ढोलेवाल के नजदीक रेलवे ट्रैक पर एक व्यक्ति के कटने की सूचना मिली। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर उसे सिविल अस्पताल के शवगृह में रखवा दिया। मृतक की पेंट की जेब से एक पर्ची मिली, जिस पर उसके पिता विकास का मोबाइल नंबर लिखा था, जिससे उस छात्र की पहचान हुई। रुपेश कुमार, 17 वर्ष का, जनता नगर, जैमल रोड का निवासी था।

सूचना के अनुसार, बुधवार की रात जब जीआरपी को शव के मिलने की जानकारी मिली, तो उन्होंने मामले की जांच शुरू की। उस पर्ची में लिखा नंबर मृतक के पिता का था, जिससे संपर्क करने पर परिवार को इस दुखद घटना की जानकारी हुई। वीरवार की सुबह, परिवार ने आकर शव की शिनाख्त की। उनकी पूरी तलाश के बावजूद, बुधवार रात रुपेश का कोई सुराग नहीं मिल सका था। वह शाम को 5 बजे घर से निकला और देर रात तक वापस नहीं लौटा, जिससे परिवार में चिंता बढ़ गई थी।

इसी प्रकार, जवाहर नगर कैंप का 30 वर्षीय युवक कन्हैया कुमार ने भी संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी लगाकर अपनी जान दी। कन्हैया टाइलें लगाने का काम करता था और 10 साल पहले उसकी लव मैरिज हुई थी। उसके दो बच्चे भी हैं। वीरवार की शाम, कन्हैया तब अपने कमरे में चला गया जब उसकी पत्नी घर पर नहीं थी। उसने पंखे से फंदा लगा लिया, जिसकी जानकारी उसकी पत्नी को मिली। वह तुरंत एम्बुलेंस को बुलाकर कन्हैया को सिविल अस्पताल ले गई, लेकिन डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस मामले में भी आत्महत्या के कारणों के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है।

पोषण व मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञ डॉ. संदीप गोयल का कहना है कि युवा उम्र के बच्चे जब इस तरह की आत्महत्या करते हैं, तो यह एक गंभीर और दुखद संकेत है। उन्होंने कहा कि यदि किसी बच्चे में व्यवहार में बदलाव, उदासी या चुप्पी जैसे लक्षण दिखाई देने लगे, तो परिवार को सतर्क रहना चाहिए। बच्चों में ये संकेत आत्महत्या के विचारों का संकेत हो सकते हैं। अगर कोई बच्चा सोशल मीडिया पर नकारात्मक संदेश पोस्ट कर रहा है या अपने दोस्तों से अलग रहने लगा है, तो यह भी चिंता का विषय होना चाहिए।

रुपेश के पिता, विकास ने बताया कि रुपेश पढ़ाई में कमजोर था और इससे काफी परेशान रहता था। उनकी चिंता इस बात को लेकर थी कि उनका बेटा कब वापस आएगा। जब पिताजी को जीआरपी से फोन आया, तब उसे इस घटना का पता चला। ऐसे मामले समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की आवश्यकता को और अधिक स्पष्ट करते हैं, क्योंकि युवा पीढ़ी के प्रति संवेदनशीलता और समर्थन की ज़रूरत है।