किसान चंडीगढ़ की ओर रवाना: सुरक्षा कड़ी, किसान नेताओं ने बताई बदनाम करने की चाल!

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5 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने चंडीगढ़ में एक पक्का मोर्चा लगाने का आह्वान किया है। इसके लिए किसान समूह ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की मदद से चंडीगढ़ की ओर प्रस्थान करेंगे। इससे पहले पंजाब पुलिस ने कई प्रमुख किसान नेताओं को हिरासत में लिया है, जिससे स्थिति थोड़ी तनावपूर्ण हो गई है। किसान अब चंडीगढ़ के सेक्टर-34 में आंदोलन करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक चंडीगढ़ प्रशासन से कोई अनुमति नहीं मिली है। इसमें किसान नेता जोगिदर सिंह उगराहां ने किसानों से अपील की है कि यदि पुलिस उन्हें रोके तो वे सड़क किनारे बैठ जाएं, क्योंकि उनका उद्देश्य टकराव नहीं है। दूसरी ओर, चंडीगढ़ पुलिस ने अपनी सीमाओं को सील करने का काम शुरू कर दिया है और इस मामले में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

पंजाब के किसान संगठनों ने घोषणा की है कि वे 5 मार्च को अपने हक के लिए चंडीगढ़ में पक्का मोर्चा लाएंगे। SKM ने इससे पहले सभी राज्यों की राजधानियों में धरना देने का निर्णय लिया था, जिसके अंतर्गत पंजाब के किसान भी सक्रिय हैं। इस संदर्भ में, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 3 मार्च को किसान नेताओं के साथ बैठक की थी, जो लगभग 2 घंटे तक चली। हालांकि, इस बैठक के परिणाम सकारात्मक नहीं रहे और किसान संगठनों ने अपने मोर्चे की योजना को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि अगर किसानों का मोर्चा जारी रहेगा तो इससे आम जनता को ही परेशानी होगी। उन्होंने कहा कि बंद और चक्का जाम से पंजाब को नुकसान होता है, लेकिन किसान नेताओं ने उनकी बातों का जवाब देते हुए बताया कि 18 मांगों का एजेंडा लेकर आए थे, लेकिन केवल 8 मांगों पर चर्चा हुई। इसलिए किसान अपने आंदोलन को जारी रखने के लिए दृढ़ हैं।

आपात स्थिति के चलते जब पुलिस ने कई प्रमुख किसान नेताओं के घरों पर छापे मारे, तब उन्होंने इन कार्रवाइयों की कड़े शब्दों में निंदा की है। SKM ने साफ कहा है कि उनका मोर्चा किसी भी सूरत में होगा, चाहे स्थिति कैसी भी हो। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने दो टूक शब्दों में कहा कि बैठक और मोर्चा एकसाथ नहीं चल सकते, जिससे किसानों की और भी नाराजगी बढ़ी है।

इस प्रकार, चंडीगढ़ में किसान संगठनों की गतिविधियाँ आगामी दिनों में और गहन हो सकती हैं, जबकि प्रशासन और पुलिस की ओर से भी सतर्कता बरती जा रही है। पूरी स्थिति पर नज़र रखते हुए, किसान आंदोलन के नेताओं ने स्पष्ट किया है कि उनका लक्ष्य केवल अपने हक की मांग करना है, न कि किसी प्रकार की हिंसा या टकराव पैदा करना। ऐसे में, 5 मार्च का दिन यह देखना दिलचस्प होगा कि किसान अध्याय किस दिशा में आगे बढ़ता है और प्रशासन की नीति क्या रहती है।