पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) ने लुधियाना पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से राज्यसभा सदस्य संजीव अरोड़ा को अपने उम्मीदवार के रूप में चयनित किया है, जिसे लेकर स्थानीय कांग्रेस विधायक कुलदीप सिंह काला ढिल्लों ने तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने इस कदम को आम आदमी पार्टी की कमजोर स्थिति और आगामी चुनावों में उनकी रणनीति का एक हिस्सा माना है। ढिल्लों ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की पंजाब में एंट्री उनकी पार्टी की आगामी हार के संकेत देती है।
कुलदीप सिंह काला ढिल्लों ने आरोप लगाया कि आप के नेताओं ने पहले यहां के सरकारी स्कूलों का निरीक्षण करने का नाटक किया था। अब, उनके अनुसार, यह स्पष्ट है कि राज्यसभा सीट को खाली कर केजरीवाल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप ने पहले सर्वेक्षण कराया था जिससे यह साबित हुआ कि केजरीवाल को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। अब, राज्यसभा में स्थान बनाकर पंजाब पर अपनी राजनीतिक पकड़ बनाने की योजना बनाई जा रही है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि पंजाब की जनता इस योजना को किसी भी तरह स्वीकार नहीं करेगी।
काला ढिल्लों ने कांग्रेस पार्टी के पक्ष में अपने विश्वास को व्यक्त किया और कहा कि कांग्रेस बरनाला की तरह लुधियाना पश्चिम सीट पर भी अपनी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगी। उन्होंने विश्वास जताया कि उनकी पार्टी की रणनीति और स्थानीय लोगों के समर्थन से कांग्रेस पुनः चुनाव में जीत हासिल करेगी। इसकी पुष्टि करते हुए, उन्होंने कहा कि जनता आपको कभी भी ठुकराएगी नहीं जब आप उनकी भलाई की प्राथमिकता रखते हैं।
इस राजनीतिक हलचल के बीच, आप और कांग्रेस दोनों पार्टियों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है। काला ढिल्लों का यह मानना है कि पंजाब की जनता ने पहले ही आप की लोकलुभावन योजनाओं को नजरअंदाज किया है। अब जो रणनीति पार्टी अपनाने जा रही है, उसके खिलाफ वे उन्हें बेहतर विकल्प देने की कोशिश कर रहे हैं। उनके अनुसार, यह समय पंजाब के लोगों के सच्चे मुद्दों के समाधान का है, न कि केवल चुनावी राजनीति का।
इसी संदर्भ में काला ढिल्लों ने यह भी बताया कि कांग्रेस पार्टी अपनी ताकत को एकजुट कर सत्ता में फिर से लौटने का प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि यह आवश्यकता है कि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा स्वस्थ और जनहितकारी हो, ताकि लोगों के बीच बेहतर संवाद स्थापित हो सके। पंजाब की राजनीति में हो रही ये हलचलें आगामी चुनावों के लिए एक बड़ी भूमिका निभा सकती हैं, जिसमें विभिन्न पार्टियों की रणनीतियाँ और अपेक्षाएँ सामने आएंगी।