भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया मार्च के पहले सप्ताह तक शुरू होने की संभावना है। उम्मीद जताई जा रही है कि पार्टी को होली से पहले यानी 14 मार्च से पहले नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा। भाजपा का ध्यान अब दक्षिण भारत की ओर केंद्रित है, ऐसे में इस बार राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए दक्षिण भारत से किसी नेता के नाम पर सहमति बनने की संभावना है। पिछले 20 सालों में दक्षिणी राज्यों से कोई नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बना है। आखिरी बार 2002 से 2004 के बीच वेंकैया नायडू ने यह पद संभाला था। इसके अलावा, पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया फरवरी के अंत तक पूरी होने के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तिथि की घोषणा की जाएगी।
भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तब किया जा सकता है जब देश के कम से कम आधे राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष चुने जा चुके हों। वर्तमान राष्ट्रपति जेपी नड्डा, जिन्हें एक और कार्यकाल देने की जगह पार्टी नए व्यक्ति की तलाश में है, इस बात के संकेत दे चुके हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भाजपा के संविधान के अनुसार, एक ही व्यक्ति को लगातार दो कार्यकाल के लिए चुना जा सकता है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि नड्डा ने दोबारा अध्यक्ष बनने की बजाय किसी नए चेहरे को यह जिम्मेदारी देने का सुझाव दिया है।
इस बार दक्षिण भारत के नेताओं को मौका देने की संभावनाओं पर चर्चा आरएसएस और अन्य अनुषंगिक संगठनों के साथ भी की जा चुकी है। इस बार जो भी नया अध्यक्ष बनेगा, उसका नेतृत्व में अगले लोकसभा चुनाव 2029 में लड़ा जाएगा। भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्षों का होता है, जिससे नए अध्यक्ष का कार्यकाल जनवरी 2028 तक चलेगा। इसके बाद केवल 14 महीने में लोकसभा चुनाव होंगे, जिससे नए अध्यक्ष का कार्यकाल चुनाव तक बढ़ जाएगा।
भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव सामान्यत: निर्विरोध होता है, जिसका अर्थ है कि केवल एक ही व्यक्ति नामांकन करता है और वोटिंग के बिना ही उसे अध्यक्ष चुन लिया जाता है। हालांकि वर्ष 2013 में जब नितिन गडकरी को फिर से अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब यशवंत सिन्हा ने नामांकन पत्र भरा था, जिससे थोड़ी हलचल पैदा हुई थी। बाद में गडकरी की अनिच्छा के चलते सिन्हा ने अपना नाम वापस ले लिया था और राजनाथ सिंह को अध्यक्ष चुना गया था।
भाजपा में प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है और यह आंतरिक चुनाव मंडल, जिला तथा प्रदेश स्तर पर आयोजित किए जा रहे हैं। इस प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता और संगठनात्मक चुनावी प्रणाली का पालन किया जा रहा है। ऐसे में, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन होना भाजपा के आगामी चुनावी रणनीतियों के लिए महत्वपूर्ण होगा। वहीं यह भी देखना होगा कि भाजपा अपने आगामी कार्यकाल में किस प्रकार की नेतृत्व क्षमता का चयन करेगी।