अजमेर शहर के स्टेशन रोड पर स्थित 113 साल पुराना ब्रिटिशकालीन किंग एडवर्ड मेमोरियल (रेस्ट हाउस) का नाम अब महर्षि दयानंद विश्रांति गृह के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार, राजीव कजोत ने मंगलवार को इस संबंध में एक आधिकारिक आदेश जारी किया। यह निर्णय विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के हालिया बयान के आधार पर लिया गया, जिन्होंने अजमेर के ऋषि उद्यान में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय समारोह में इसका ऐलान किया था।
महर्षि दयानंद सरस्वती भारतीय समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने समाज सुधार और शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए। उनका जीवन और सिद्धांत आज भी अनेक लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। इसी कारण विभिन्न संगठनों और प्रबुद्धजनों ने स्थानीय विधानसभा अध्यक्ष देवनानी से मुलाकात की और किंग एडवर्ड मेमोरियल का नाम बदल कर महर्षि दयानंद विश्रांति गृह करने का प्रस्ताव रखा था।
आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि किंग एडवर्ड सप्तम मेमोरियल सोसायटी का रजिस्ट्रेशन राजस्थान सोसायटी एक्ट 1958 के तहत 16 सितंबर 1975 को किया गया था। अब जब नए नाम से इसे संबोधित किया जाएगा, तो यह न केवल महर्षि दयानंद की विरासत को संरक्षित करेगा, बल्कि समाज में उनके योगदान को भी मान्यता देगा। इससे अजमेरवासियों में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जागरूकता बढ़ेगी।
इस बदलाव को लेकर स्थानीय लोग खुशी का इजहार कर रहे हैं। उनका मानना है कि इस पहल से युवा पीढ़ी को महर्षि दयानंद के विचारों और मूल्यों के प्रति जागरूक किया जा सकेगा। उनके अनुसार, इस रेस्ट हाउस का नया नाम महर्षि दयानंद का सम्मान करेगा और उनकी शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करेगा। इस अवसर पर समिति के सदस्यों ने भी कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय संस्कृति और इतिहास की पहचान को मजबूती प्रदान करेगा।
एजेंसी की जानकारियों के अनुसार, यह निर्णय न केवल महर्षि दयानंद की जयंती पर किया गया है, बल्कि यह उनके प्रति सम्मान का भी प्रतीक है। अब यह विश्रांति गृह न केवल प्रशासनिक उपयोग के लिए होगा, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों का भी एक महत्वपूर्ण केन्द्र बनेगा। ऐसे में यह अदला-बदली अजमेर के विकास में एक नई तरंग लाएगी और लोगों को महर्षि दयानंद के आदर्शों की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।