इस बैठक में निदेशक मंडल ने कंपनियों के लिए कोष जुटाने के समय पेश किए जाने वाले निर्गम दस्तावेज को सरल बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया। इससे निवेशकों को निवेश के फैसले लेने में आसानी होगी और वे कम समय में ही मुख्य बिंदुओं की जानकारी जुटा पाएंगे। इसके अलावा म्यूचुअल फंड योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए समग्र खर्च अनुपात (टीईआर) को अलग-अलग घटकों में तोड़ने की मंजूरी भी दी गई। इससे निवेशक यह समझ सकेंगे कि टीईआर में से कितनी राशि स्टांप शुल्क, प्रतिभूति लेन-देन कर (एसटीटी) और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे कानूनी मदों में जा रही है।
सेबी बोर्ड ने बॉन्ड या ऋण निर्गम में भी विशेष श्रेणी के निवेशकों को प्रोत्साहन देने की अनुमति दी। निदेशक मंडल ने बड़ी कंपनियों पर अनुपालन का बोझ कम करने के लिए उच्च ऋण मूल्य वाली सूचीबद्ध इकाइयों (एचवीडीएलई) की पहचान के लिए ऋण-सीमा को 1 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव भी मंजूर किया।