अभियोजन अधिकारियों के वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन में दोषसिद्धि की दर आधार क्यों-हाईकोर्ट

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याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार की ओर से अभियोजन अधिकारियों के लिए एपीएआर का नया प्रारूप तय किया गया है। जिसमें पहली बार अभियोजन अधिकारियों के प्रदर्शन मूल्यांकन करने के लिए उनकी ओर से आरोपी को दोषसिद्धि कराने की दर का कॉलम जोडा गया है। याचिका में कहा गया कि यह प्रावधान मनमाना और असंवैधानिक है। किसी आपराधिक मामले में दोषसिद्धि या बरी होना कई कारकों पर निर्भर करता है। जिसमें जांच की गुणवत्ता, साक्ष्यों की उपलब्धता, गवाहों के सहयोग और न्यायालय की प्रक्रिया आदि शामिल हैं, लेकिन इन पर अभियोजन अधिकारी का पूर्ण नियंत्रण नहीं होता है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट भी पूर्व में कई मामलों में तय कर चुका है कि अभियोजन अधिकारियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन केवल दोषसिद्धि की दर के आधार पर नहीं किया जा सकता। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।