उत्तराखंड के त्योहारों और लोक परंपराओं को बढ़ावा दे रही सरकार : शेखावत

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केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सोमवार को भाजपा सदस्य त्रिवेंद्र सिंह रावत के उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण से संबंधित पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कहा कि उत्तराखंड के 43 केंद्र संरक्षित स्मारक और स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षण और रखरखाव में हैं। इनका संरक्षण आवश्यकताओं और संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार, राष्ट्रीय संरक्षण नीति के अनुरूप किया जाता है। उन्होंने कहा कि सभी स्थल वर्तमान में अच्छी अवस्था में संरक्षित हैं।

शेखावत ने बताया कि संगीत नाटक अकादमी (एसएनए) उत्तराखंड की लोक, पारंपरिक और जनजातीय प्रदर्शन कलाओं को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा रही है। उन्होंने बताया कि हाल ही में अकादमी ने राज्य में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए, जिनमें- कला धरोहर, मीरा बाई पर आधारित कार्यशालाएं 23-24 अगस्त 2024 को सुयालबाड़ी, नैनीताल में, 14-15 नवम्बर 2024 को देहरादून में, 14-15 नवम्बर 2024 को तपोवन, टिहरी गढ़वाल में, 11-12 दिसम्बर को चमोली में, कला प्रवाह में संगीत एवं नृत्य का महोत्सव 6 जुलाई 2024 को कसारदेवी मंदिर, अल्मोड़ा प्रमुख रूप से शामिल हैं।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश की विभिन्न लोक और पारंपरिक कलाओं के संरक्षण, संवर्धन और प्रचार के लिए सरकार ने सात जोनल सांस्कृतिक केंद्र स्थापित किए हैं। ये केंद्र अपने सदस्य राज्यों में नियमित रूप से विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। उत्तराखंड, उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला और उत्तर मध्य क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज दोनों का सदस्य होने के कारण इन केंद्रों द्वारा राज्य में अनेक सांस्कृतिक उत्सव और कला संवर्धन कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

उन्होंने बताया कि संस्कृति मंत्रालय राष्ट्रीय संस्कृत महोत्सव का भी आयोजन करता है, जिसमें देशभर के अनेक लोक एवं जनजातीय कलाकार, सहित उत्तराखंड के स्थानीय कलाकार भी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन करते हैं।

शेखावत ने बताया कि संगीत नाटक अकादमी ने “कला दीक्षा” (गुरु–शिष्य परंपरा) योजना के तहत उत्तराखंड की चार प्रदर्शन कलाओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं। शेखावत ने बताया कि संगीत नाटक अकादमी की फाइनेंशियल असिस्टेंस टू कल्चरल इंस्टिट्यूशंस योजना के अंतर्गत वर्ष 2021–22 में पांच संस्थाओं को 2 लाख रुपये की सहायता प्रदान की गई। वर्ष 2022–23 में आठ संस्थाओं को 3.30 लाख रुपये की सहायता मिली और वर्ष 2023–24 में पांच संस्थाओं को 2.20 लाख रुपये की सहायता प्रदान की गई।

शेखावत ने कहा कि विभिन्न कार्यक्रमों और प्रशिक्षण पहलों के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन में उल्लेखनीय सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है।

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